पागलपन के कारण, लक्षण व ५० घरेलु उपाय – Home Remedies For Mental Illness

क्या है पागलपन ? What is Mental illness ?

पागलपन  के कारण रोगी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। इस रोग के कारण शरीर के सभी अंगों का संतुलन ठीक नहीं रहता तथा मस्तिष्क के स्नायु में किसी प्रकार का दोष उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण उसे पागलपन का रोग हो जाता।

पालपन के लक्षण – Symptoms of Madness

यह एक मानसिक रोग है, बकवास करना ,हँसना या रोना ,चीखना, चिल्लाना , खुद व खुद बातें करना ,कपड़े फाड़ना , मारने या काटने को दौड़ना , अपने बाल नोचना आदि ही इसके प्रमुख लक्षण है –

  • इस रोग से पीड़ित रोगी कुछ न कुछ बड़बड़ाता रहता है तथा उसके शरीर का संतुलन ठीक नहीं रहता है।
  • रोगी व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है और उसे कुछ भी पता नहीं रहता है कि उसे क्या करना है या क्या नहीं करना है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी हर समय इधर-उधर घूमता रहता है।
  • इस रोग में रोगी व्यक्ति की सोचने की शक्ति कम हो जाती हैं तथा वह हमेशा अपने आप ही हंसता और बोलता रहता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी का शरीर पीला पड़ जाता है तथा उसके मुंह से लार निकलता रहती है।
  • पागलपन रोग से पीड़ित रोगी को जब क्रोध आता है तो वह किसी भी व्यक्ति से लड़ने-झगड़ने लगता है। रोगी व्यक्ति की आंखें हर समय चढ़ी-चढ़ी सी रहती हैं।

पागलपन के कारण – Causes of Madness

यह रोग कई प्रकार की विकृतियों के कारण हो सकता है जैसे कर्जदार या दिवालिया हो जाना ,अत्यधिक प्रसन्न होना , अत्यधिक चिंतित होना ,मोह , क्रोध, भय , शोक , काम – वासना की अतृप्ति या मादक पदार्थो का अत्यधिक सेवन करना  अतः पागलपन के मूल कारण को ही जानकर औषधियों का प्रयोग करना चाहिए  –

  1. इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का खान.पान है। शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाने के कारण मस्तिष्क के स्नायु में विकृति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण मस्तिष्क के स्नायु अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और पागलपन का रोग हो जाता है।
  2. .शरीर के खून में अधिक अम्लता हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता हैं क्योंकि अम्लता के कारण मस्तिष्क ,नाड़ियों मेंसूजन आ जाती है जिसके कारण मस्तिष्क शरीर के किसी भाग पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और उसे पागलपन का रोग हो जाता है।
  3. असंतुलित भोजन के कारण शरीर में विटामिन तथा लवणों की कमी कमी हो जाती है जिसके कारण मस्तिष्क की नाड़ियों में रोग उत्पन्न हो जाते हैं और व्यक्ति को पागलपन का रोग हो जाता है।
  4. किसी प्रकार की चोट तथा अन्य संक्रमण के कारण भी स्नायु में सूजन आ सकती है जिसके कारण पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है।
  5. सिर पर किसी प्रकार से तेज चोट लगने के कारण भी मस्तिष्क की नाड़ियां अपना कार्य करना बंद कर देती  है जिसके कारण व्यक्ति को पागलपन का रोग हो जाता है।
  6. अधिक चिंताए सोच-विचार करनेए मानसिक कारणए गृह कलेशए लड़ाई.झगड़े तथा तनाव के कारण भी मस्तिष्क की नाड़ियों में रोग उत्पन्न हो जाता है और व्यक्ति को पागलपन का रोग हो जाता है।
  7. अधिक मेहनत का कार्य करने, आराम न करनेए थकावट,नींद पूरी न लेनेए जननेन्द्रियों की थकावट,अनुचित ढ़ग से यौनक्रिया करनाए आंखों पर अधिक जोर देनाए शल्यक्रिया के द्वारा शरीर के किसी अंग को निकाल देने के कारण भी पागलपन का रोग हो सकता है।
  8. यह रोग पेट में अधिक कब्ज बनने के कारण भी हो सकता है क्योंकि कब्ज के कारण आंतों में मल सड़ने लगता है जिसके कारण दिमाग में गर्मी चढ़ जाती है और पागलपन का रोग हो जाता है।

पागलपन (मानसिक रोग)  ठीक करने के ५० सरल उपाय – Home Remedies For Cure of Mental Illness

  1. सरसों के तेल की नस्य देने और सरसो का तेल आँखों में आँजने से पागलपन का रोग दूर होता है ए ऐसे रोगी के सारे शरीर में सरसो का तेल लगाकर तथा उसे बांधकर धू प में चित्त सुला देने से भी इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।
  2. २० ग्राम पेठे के बीज की गिरी रात के समय मिट्टी के बर्तन में ५० ग्राम पानी डालकर भिगो दे सवेरे उसे सिल पैर पीसकर छान ले और ६ माशा शहद मिलाकर पिलाये १५ दिन तक नियमित सेवन करने से पागलपन दूर हो जाता है।
  3. खिरेंटी ,सफेद फूलो वाली द्ध का चूर्ण साढ़े तीन तोलाए १० ग्राम पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर-पारू की विधि से दूध में पकाकर और ठंडा कर नित्य प्रातः काल लेने  से घोर उन्माद भी नष्ट हो जाता है ।
  4. सिरस के बीज ए लहसुन का रस ए तगर ए बच तथा कूट ए मुलहठी हींग इन्हें एक भार; प्रत्येक १० ग्राम द्ध में लेकर बारीक पीसकर छान ले द्य फिर इन्हें बकरी के मूत्र में पीसकर ए नस्य देने और आँखों में डालने से पागलपन का रोग दूर हो जाता है ।
  5. ब्राह्मी के पत्तो का स्वरस ४० ग्राम ए १२ रत्ती  कूट  का चूर्ण और ४८ रत्ती शहद इन सबको मिलाकर पिलाने से भी पागलपन के लक्षण जाते रहते है।
  6. मंजीठ ,सिरस के बीज, सोंठ, पीपल, सरसों, हींग, कालीमिर्च , हल्दी इन सबको १०-१० ग्राम लेकर कूट-पीसकर छान ले  इस चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसकर नस्य देने और आँखों में आजमाने से उन्माद ए ग्रह और मिर्गी रोग नष्ट हो जाते है ।
  7. १५ ग्राम अनार के ताजे हरे पत्ते ए १५ ग्राम गुलाब के ताजे फूल ५०० ग्राम पानी में उबाले द्य चौथाई पानी रह जाने पर२० ग्राम देसी घीमें मिलाकर नित्य पिए इससे पागलपन के दौरों में लाभ होता है ।
  8. इलाहाबादी मीठे अमरुद २५० ग्राम प्रातः और शाम को ५ बजे नित्य  खाये  नीबू ए कालीमिर्च ए नमक स्वाद के लिए अमरुद पर डाल सकते है  इससे मस्तिक की मांसपेशियों को शक्ति मिलेगी गर्मी निकल जाएगी ,पागलपन दूर होगा  मानसिक चिंताये अमरुद खाने से दूर होती है ।
  9. आधा चम्मच अजवाइन पिसी हुईए ४ मुनक्का के साथ पीसकर आधा कप पानी में घोलकर दो बार  नित्य  लंबे समय तक पिलाने से पागलपन दूर होता है।
  10. पित्त  की  गर्मी  के कारण पागलपन हो तो शाम को एक छटाक चने पानी में भिगो दे  प्रातः पीसकर खांड और पानी मिलाकर एक गिलास भरकर पीने से लाभ होता है चने की दाल का भी पानी पिलाने से पागलपन दूर होता है ।
  11. होम्योपैथी में लाल मिर्च से बनी औषधि कैप्सिकम एनम मदर टिंचर की कुछ बूंदे  पागलपन के दौरे में नाक में डालने से होश आ जाता है ।
  12. १२ कालीमिर्च, ३ ग्राम ब्राह्मी की पत्तियां पीसकर आधा गिलास पानी में छानकर नित्य दो बार पियें।
  13. यदि वहम की तीव्रता से पागलपन हो तो तरबूज के रस का एक कप ,दूध एक कप , मिश्री ३० ग्राम मिलाकर, एक सफ़ेद बोतल में भरकर रात को खुले में चांदनी में किसी खूटी में लटका दे , प्रातः भूखे पेट रोगी को पिला दे  ऐसा २१ दिन करने वहम दूर हो जाता है।
  14. पागलपन का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कम से कम 2 महीने तक फलए सब्जियां और अंकुरित अन्न खिलाने चाहिए। इसके बाद रोगी व्यक्ति को फलों एवं सब्जियों के रस का सेवन कराके सप्ताह में एक बार उपवास कराना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति के शरीर का दूषित द्रव्य शरीर से बाहर निकल जाता है और रोगी के मस्तिष्क की नाड़ियां ठीक प्रकार से कार्य करने लगती हैं और यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  15. पागलपन रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए। रोगी को सोयाबीन को दूध के साथ खाना चाहिए। इसके बाद कच्ची हरे पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  16. रोगी व्यक्ति को अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद अपने पेट पर तथा माथे पर मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए। फिर कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद मेहनस्नान ठंडे पानी से रीढ़ स्नान और जलनेति क्रिया करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से मस्तिष्क की नाड़ियां ठीक प्रकार से अपना कार्य करने लगती है। इससे पागलपन का रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
  17. पागलपन से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सूर्यतप्त जल दिन में कम से कम 6 बार पीना चाहिए और फिर भीगी पट्टी माथे पर लगानी चाहिए। जब पट्टी सूख जाए तो उसे हटा लेना चाहिए। फिर इसके बाद सिर पर आसमानी रंग का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को अच्छी नींद लेनी चाहिए।
  18. इस रोग से पीड़ित रोगी को दिन में कई बार पानी में नींबू का रस मिलाकर पिलाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है और मस्तिष्क की नाड़ियां ठीक प्रकार से अपना कार्य करने लगती हैं।
  19. एक टब में गुनगुना पानी भरना चाहिए। इसके बाद इस टब में रोगी व्यक्ति को लिटाना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए की रोगी व्यक्ति का मुंह पानी से बाहर रहें। इस क्रिया को प्रतिदिन कुछ समय के लिए करने से रोगी व्यक्ति का रोग ठीक होने लगता है।
  20. पागलपन रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में ठंडे जल से भीगे तौलिए से अपने शरीर को पोंछना चाहिए तथा यही क्रिया रात के समय में भी करनी चाहिए। इस क्रिया को प्रतिदिन करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  21. रोगी व्यक्ति के सिर पर दिन में 2.3 बार गीली मिट्टी की पट्टी या फिर कपड़े को भिगोकर उसकी पट्टी रखने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति का उपचार प्रतिदिन करने से यह रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।
  22. पागलपन से पीड़ित रोगी को आसमानी रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में कम से कम 8 बार कुछ दिनों तक पिलाने तथा सिर पर नीली रोशनी डालने से लाभ होता  है।
  23. पागल रोगी का जो घरेलू इलाज किआ जाता हैए वह यह है की रोगी को किसी अच्छी खुली जगह पर आराम से रखें। रोगी को हर रोज़ 3-4 बार नहलाते रहें।
  24. पागल रोगी के लिए बकरी अथवा गाये का दूध उचित आहार है। इसके अतिरिक्त ठंडी हरी सब्जियां जैसे घीयाए टिंडाए तोरई और परवल का साग उचित है।
  25. कद्दू के बीज छे माशेए खसखस के बीज छे माशे किशमिश 21 दाने पानी में पीसकर सुबह-शाम पिलायें।
  26. यदि रोगी को कब्ज की शिकायत होतो इमली पांच तौलाए सनाए की पत्ती सात मासे को रात के समय पानी में भिगोकर रखें। सुबह छानकर गुलकन्द चार तौला  मिलाकर पिलायें।
  27. नीबू के छिलकों का चूर्ण बनाकर हररोज 5  ग्राम चूर्ण रात को 200 ग्राम पानी में डालकर रखें। सुबह उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पिलाने से पागलपन में बहुत लाभ होता है।
  28. सर्पगन्धा की जड़ को चाय में सुखाकर पीसकर चूर्ण बनाएं। 5 ग्राम चूर्ण गुलाब जल के साथ पिलाने से पागलपन में बहुत लाभ होता है।
  29. 20 ग्राम इमली को पानी के साथ पीसकरए छानकर रोगी को पिलाने से पागलपन में बहुत लाभ होता है।
  30. गुलाबजल और कपास के फूल 10 . 10 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। उसमें 20 ग्राम गुड़ मिलाकर चाशनी बना लें। 6 ग्राम चाशनी हररोज सुबह और शाम खिलाने से पागलपन का प्रभाव कम होता है।
  31. तरबूज के बीजो की 10 ग्राम गिरी शाम को पानी में डालकर रखें। प्रातः काल उस गिरी को पानी में पीसकर थोड़ी . सी मिश्री मिलाकर पिलाने से पागलपन में लाभ होता है।
  32. गुलाब के फूल और अनार के पते दोनों 10 . 10 ग्राम 500 ग्राम पानी में उबालें। 100 ग्राम पानी रह जाने पर10 ग्राम पानी का घी मिलाकर खिलने से पागलपन में लाभ होता है।
  33. पागलपन में रोगी ज्यादा तकलीफ में रहता है। ऐसी स्थिति में रात को सोते समय रोगी को एरेंडी का तेल 20ग्राम दूध के साथ पिलाने से कब्ज दूर होती है।
  34. शंखपुष्पी का 5 ग्राम रास शहद में मिलाकर सुबह . शाम सेवन करने से उन्माद खत्म होता है।
  35. 10 ग्राम सौंफ को 500 ग्राम पानी में उबालकर 250 ग्राम पानी रह जाने पर छानकर रखें। इस पानी में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से उन्माद कम होता है।
  36. शंखपुष्पी और ब्राह्मी का रस 5 . 5  ग्राम लेकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से उन्माद खत्म होता है।
  37. कुठ का चूर्ण दो ग्राम ए ब्राह्मी रस दस ग्रामए थोड़े से शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से ब्रेन की कमजोरी खत्म होने पर उन्माद में लाभ होता है।
  38. काली मिर्च और धतूरे के बीज दोनों 25-25 ग्राम कूटकर पानी के साथ गोलियां बनाकर रखें। 1 रत्ती गोली को माखन के साथ सेवन करने से उन्माद में बहुत लाभ होता है।
  39. कुलिंजन का चूर्ण 3 ग्रामए ब्राह्मी के पत्तों का 10 रस ग्रामए शहद के साथ मिलाकर दिन में 3  बार चटाकर खिलने से उन्माद में बहुत लाभ होता है।
  40. नीम के पत्तों का रस 6 ग्रामए कुठ का चूर्ण 2 ग्राम दोनों को शहद में मिलाकर सेवन करने से उन्माद की विकृति नष्ट हो जाती है।

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