प्रेगनेंसी में होने वाली दस्त सूजन कब्ज उलटी दर्द होने पे क्या करे

  • गर्भावस्था में सूजन – Swelling (oedema) in pregnancy
  1. बरगद के पत्तों को घी में चुपड़कर उनको गर्म करके पैरों पर बांधने से गर्भवती स्त्री के पैरों की सूजन दूर हो जाती है यह एक  असरदार हैं ।
  2. गर्भावस्था में पैरों की सूजन में काले जीरे के काढे़ से पैरों को धोना चाहिए, इससे पैरों की सूजन Swelling (oedema)  कम  हो जाती है।
  3. अजवाइन – अजवाइन का बारीक चूर्ण पैरों में धीरे-धीरे मलने से गर्भिणी के पैरों की सूजन कम होती है।
  • गर्भावस्था में दस्त – Loose Motion in Pregnancyगर्भवती स्त्रियां कभी-कभी अतिसार अर्थात् बार-बार दस्त की बीमारी से परेषान रहती है, इसका मुख्य कारण आंतों में पुराना कुपित मल है, अतः दस्त के उपचार के लिए निम्न घरेलू उपाय करना चाहिए-
  1. जामुन के तीन-चार कोमल पत्तों को सेंधा नमक के साथ पीसकर गोली बना लें। एक-एक गोली सुबह-षाम जल के साथ सेवन करने से दस्त रुक जाते हैं, जामुन के कोमल पत्तों का दस ग्राम रस शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से भी लाभ होता है।
  2. पके बेल की गिरी अथवा कच्चे बेल को पानी में उबालकर उसके गूदे को शहद तथा मिश्री मिलाकर सेवन करने से गर्भिणी के अतिसार का शमन होता है । दो से चार चम्मच बेल का गूदा तथा एक-एक चम्मच शहद एवं मिश्री दिन में तीन बार सेवन करें।
  3. अधपके बेल को आग में भूनकर उसका गूदा मिश्री एवं गुलाब जल के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पर भी पतली दस्त में आराम मिलता है।
  4. नाभि में बड़ का दूध भरने तथा उसके आसपास लगाने से गर्भावस्था में होने वाले पतले दस्त में आराम मिलता है।
  5. बार-बार पतले दस्त होते हों, तो सूखे आंवलों का चूर्ण 10 ग्राम तथा हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम मिलाकर 1-1 चम्मच मट्ठे के साथ सुबह-शाम लेने से शीघ्र लाभ होता है।
  6. संतरे के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर दिन में तीन बार एक-एक कप पीने से गर्भवती की दस्त की शिकायत दूर हो जाती है।
  • गर्भकाल का प्रमुख रोग उल्टी – Vomiting in Pregnancy
  1. यदि गर्मी का मौसम हो, तो बर्फ का पानी सेवन करने से भी बड़ा लाभ होता है। उल्टी की दषा में गर्भिणी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
  2. गर्भवती स्त्री के उदर पर गीली मिट्टी की पट्टी और पानी की पट्टी रखने से भी वमन अथवा उल्टी बंद हो जाती है।
  3. अधिक उल्टी की दषा में केवल भोजन में तरल पदार्थ, यथा-नींबू का रस, पके आम का रस, नारियल का पानी और संतरा-मुसम्मी का जूस हितकर होता है।
  •  गर्भावस्था में खानपान –  Diet in Pregnancy
  1. गर्भवती स्त्री को पर्याप्त मात्रा में आवष्यकतानुसार पानी पीना चाहिए जिससे पेषाब के रूप में शरीर के सारे गंदे तत्व शरीर से बाहर निकल जाएं।
  2. तले हुए, गरिष्ठ एवं अरूचि पैदा करने वाले खाद्य पदार्थो के सेवन से बचना चाहिए।
  3. हल्के-फुल्के व्यायाम के साथ-साथ गर्भवती स्त्री को प्रातः काल सैर करनी चाहिए।
  4. आमतौर पर गर्भकाल के दौरान पेट में अम्ल तत्व बढ़ जाता है, जिससे छाती में जलन का अनुभव होता है। अतः गर्भावस्था में प्रातः काल खाली पेट एक गिलास ताजा पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर पीना चाहिए। इसके सेवन से अन्य विकारों के साथ ही कब्ज से भी निजात मिलती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है। नींबू से विटामिन ‘सी’ तथा विटामिन ‘ए’ पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होती है। यह विटामिन गर्भवती महिला तथा उसके होने वाले बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी होती है।
  5. टमाटर, उसका रस रक्तषुद्धि के साथ-साथ रक्तषुद्धि भी करता है। अतः गर्भिणी को टमाटर का सेवन किसी न किसी रूप में अवष्य करना चाहिए।
  6. गर्भावस्था में दालों का सेवन अधिक नही करना चाहिए। केवल मूुंग(desi ilaj for pregnancy) की छिलके वाली दाल का सेवन करना चाहिए, क्योंकि यह पचने में हल्की होती है।
  7. गर्भकाल में खून की कमी होना वैसे आम बात है, परंतु उन गर्भवती स्त्रियों को रक्ताल्पता की षिकायत नहीं होती, जो उचित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करती हैं। इसलिए रक्ताल्पता से बचने के लिए गर्भकाल में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार लेना अति आवष्यक है। मौसमी फलों और रसदार फलों का सेवन करना भी जरूरी है।
  8. गर्भवती महिला को स्वच्छता की ओर भी विषेष ध्यान देना चाहिए जिससे शरीर नीरोग तथा मन प्रफुल्लित एवं प्रसन्न रहे।
  9. गर्भवती को नित्य दो नारंगी दोपहर में पूरे गर्भकाल में खिलाते रहने से होने वाला शिशु  सुन्दर होता है।
  10. मौसमी में कैलशियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय के बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक है।
  11. नारियल का गोला और मिश्री खाने में प्रसव में दर्द नहीं होता(pregnancy care by ayurveda)। सन्तान हृष्ट-पुष्ट होती है।
  12. गर्भावस्था में रक्त की कमी आ जाती है। इस काल में रक्त बढ़ाने वाली चीजों का सेवन अधिक किया जाना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद नित्य पिलाते रहने से रक्त की कमी नहीं आती, शक्ति आती है और बच्चा मोटा-ताजा होता है। गर्भवती को आरम्भ से ही या अन्तिम तीन माह में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और आकर्षक होता है।
  13. रक्त वृद्धि- आधा गिलास गाजर का रस, आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से कमजोरी दूर होती है व रक्त बढ़ता है।

 गर्भवती के लिए आवष्यक सुझाव – Pregnancy- Care Tips in Hindi

एक गर्भवती महिला को निम्न बातों पर ध्यान देना अत्यंत आवष्यक है, साथ ही उनका पालन करना भी जरूरी है-

  1. डॉक्टरी परामर्ष के बिना कोई दवा न लें। बिना पूर्ण जानकारी अथवा आवष्यक सलाह के बिना ली गई दवा गर्भस्थ षिषु के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है। इसलिए यह परम आवष्यक है कि कोई दवा बिना पूछताछ अथवा सलाह के कदापि न लें।
  2. गर्भिणी को अत्यधिक शारीरिक एवं मानसिक श्रम से भी बचना आवष्यक हैै,(desi ilaj for pregnancy )जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को किसी प्रकार की चोट एवं आघात न पहुंचे।
  3. यदि गर्भवती टेढे़-मेढ़े एवं ऊंचे-नीचे कठोर आसन तथा शैया का प्रयोग करती है, तो इससे गर्भस्त्राव होने की आशंका  रहती है। गर्भावस्था में मल-मूत्र के वेगों को रोकने, कठिन और बिना अभ्यास व्यायाम करने से, अधिक गर्म आहार तथा औषधियों के सेवन से और आवष्यकता से कम भोजन करने से गर्भस्त्राव अथवा गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। अतः इन सबसे सदैव बचना चाहिए।
  4. सर्वप्रथम गर्भिणी को अपनी मानसिक स्थिति पर नियंत्रण रखना जरूरी है, उसे गर्भ को लेकर बेवजह परेषान या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। उसे गर्भस्थिति को बोझ नहीं समझना चाहिए, क्योकि गर्भधारण तथा प्रसव पीड़ा से भयभीत नहीं होना चाहिए।   
  5. आहार के सभी रसों का समान रूप से सेवन करना चाहिए। न अधिक मीठा खाना चाहिएए न अधिक खटटा , न ही कड़वा, नमकीन, तीखा अथवा कषैला। किसी एक रस का अधिक अथवा कम सेवन अहितकर होता है।
  6. गर्भवती महिला को सभी प्रकार के व्यसनों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि विकृत बच्चों के पैदा होने में इन्हीं (धूम्रपान, स्मैक, शराब, अन्य नषीले पदार्थ) व्यसनों का हाथ होता है। इन व्यसनों का सर्वप्रथम त्याग करने वाली स्त्री ही पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है।
  7. क्रोध, शोक, लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए। इसका प्रभाव बच्चे के स्वभाव पर पड़ता है, क्योकि शिशु  गर्भकाल से ही सीखना शुरू कर देता है। 

    गर्भावस्था में सावधानियां – Precautions During Pregnancy

    1- गर्भावस्था में यथासंभव अधिक से अधिक ब्रह्मचर्य (सहवास से दूर) का पालन करना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु  पर अनावष्यक दबाव नहीं पड़ता है।

  8. इन बातों को ध्यान में रखकर और उनका पालन कर गर्भवती महिला अपने शरीर को स्वस्थ रख सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु  का विकास भी अच्छी तरह होता है।   
  9. गर्भवती होने के बाद महिलाओं को सुपाच्य हल्के भोजन करने चाहिए। कब्ज करने वाले गरिष्ठ भोजन से गर्भस्थ शिशु  का विकास समुचित ढंग से नही होता।
  10. गर्भकाल के अंतिम महीनों में महिलाएं भोजन नहीं कर पाती है। अतः उन्हें गर्भस्थ शिशु  व अपने दैनिक जीविकोपार्जन हेतु फल, फूल, दूध आदि का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
  11. गर्भवती को प्रतदिन हल्का व्यायाम (भोजन बनाना आदि) करना चाहिए। इससे प्रसव के समय गर्भ के बाहर आने में कोई कठिनाई(Pregnancy pain in hindi) नहीं होती है।
  12. भोजन पचने में कोई गड़बड़ी हो, तो आयरन वाली हरी सब्जियों का सेवन अधिक करना चाहिए या चिकित्सक की सलाह से आयरन वाली गोलियों का प्रयोग करना चाहिए।
  13. गर्भिणी को शक्ति से अधिक परिश्रम अथवा हाथों से अधिक उठाकर सिर पर नहीं रखना चाहिए। कोई भारी बोझ लेकर सीढ़ी आदि चढ़ना हानिकारक है। इससे गर्भस्थ शिशु पर दबाव पड़ता है जिससे वह नीचे की ओर खिसकता है।
  14. अंतिम आठवें-नौवें महीने में (pregnancy pain in hindi)देशी  लाल गेहूँ का दलिया, गाय का दूध, हल्के सुपाच्य भोजन तथा परिस्थिति के अनुसार मौसमी फल आदि का प्रयोग अधिक करना चाहिए। पचने में भारी, खट्टे, तेज मसालेदार पदार्थो का सेवन कम से कम करना चाहिए।
  • बच्चा पैदा होते समय पीड़ा – Pregnancy pain before delivery

 जब स्त्रियों का विवाह हो जाता है तो विवाह के बाद वे मां बनना चाहती है। गर्भ ठहरने के बाद जब प्रसव यानि बच्चे के जन्म का समय आता है तो उन्हें बहुत ही कष्ट व परेषानी होती है। कभी-कभी तो प्रसव के समय मां को इतनी तकलीफ होती है कि जान जाने का खतरा भी हो जाता है। ऐसे में मां व बच्चे दोनों को कष्ट से गुजरना पड़ता है। ऐसे समय में मां का विषेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। 

  • गर्भावस्था में दर्द का का कारण – Causes of pregnancy pain before delivery

जब बच्चा जन्म लेते समय गर्भाषय से आसानी से नहीं निकलता है तो मां को बहुत ही कष्ट उठाना पड़ता है। जब तक बच्चा बाहर नहीं आ जाता है तब तक मां दर्द से तड़पती रहती है। स्त्रियों को चाहिए कि जब पेट में गर्भ ठहर जाये तो वे थोड़ा बहुत काम अवष्य ही करती रहें। आजकल की स्त्रियां तो बिल्कुल ही काम नहीं करती हैं इसलिए प्रसव के समय उन्हें ज्यादा ही तकलीफों से गुजरना पड़ता है। जो स्त्रियां बच्चों को जन्म देने के बाद बच जाती हैं, समझ लो उनका एक तरफ से दूसरा जन्म होता है। नीचे प्रसव से सम्बंधित कुछ नुस्खों को बताया जा रहा है। जिसके प्रयोग से प्रसव के दौरान मां को दर्द व कष्टों से बचाया जा सकता है।  

  • बच्चों के जन्म के समय दर्द शुरू होने के लक्षण – Symptoms of Pregnancy pain before delivery

बच्चों के जन्म के समय मां को बहुत ही घबराहट होती है। उसके पेट व पेडू में भयानक दर्द होने लगता है। उल्टी, बेचैनी, योनि से स्त्राव, खून व पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। ये तमाम लक्षण प्रसव के दौरान के है।

  • माँ को डिलीवरी के समय काम दर्द हो उसके लिए घरेलु उपाय – Home Remedies  for  pregnancy pain before delivery

  1. अपामार्ग की जड़ को माता की कमर में डोरी में पिरोकर बांधने से प्रसव का दर्द कम हो जाता है।
  2. बच्चा पैदा होने के समय स्त्री को गाजर के बीज व उसके पत्तों का काढ़ा पिलाने से बच्चा बिना दर्द के आसानी से पैदा हो जाता है।
  3. एरण्ड का तेल बार-बार नाभि पर लगाने(pregnancy pain in hindi) से बच्चा जल्दी पैदा हो जाता है।
  4. चुम्बक पत्थर को रेषमी कपड़े में बांधकर स्त्री के बाएं हाथ में पकड़ा देने से बच्चा आसानी से पैदा हो जाता है।
  5. बच्चा पैदा होते समय स्त्री को तुलसी के पत्तों का रस एक-एक चम्मच की मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाने से तकलीफ नहीं होती है।
  6. बच्चा पैदा होने के आठ दिन पहले सं मां को अंजीर का सेवन कराने से बच्चा आसानी से पैदा हो जाता है।
  7. तीन-चार दाने लाल घंुघची लेकर बारीक पीस लें और इसमें थोड़ा-सा पुराना गुड़ मिलाकर दोनों को अच्छी तरह खरल कर लें। इसे बच्चा पैदा होते समय खिलाने से बच्चा आसानी से पैदा हो जाता है। यह दवा पेट में पहुँचने के दस-पन्द्रह मिनट बाद बच्चा बिना दर्द के पैदा हो जाएगा।
  8. बच्चा पैदा होने के समय मकोय की जड़ पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से बच्चा आसानी से पैदा हो जाता है।
  9. थोड़ी-सी लौकी को उबाल लें और उसका रस निचोड़कर बीस-तीस ग्राम शहद मिलाकर मां को दें इससे प्रसव पीड़ा कम हो जाती है।

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