Period Problems: Causes, Symptoms, and Effective Solutions

मासिक धर्म का अर्थ – [Period Kya Hota Hai]: हर महिला के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा, मासिक धर्म, जिसे हम आमतौर पर पीरियड के नाम से भी जानते हैं, एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जो महिलाओं के जनन संक्रांति को नियंत्रित करती है। यह विशेष लेख आपको इस विषय पर गहरी समझ दिलाने का प्रयास करेगा, और स्वास्थ जीवनशैली के लिए इसका महत्व समझाएगा। चाहे आप एक छात्रा हों, माता-पिता हों, या स्वास्थ्य पेशेवर हों, यह जानकारी हर किसी के लिए उपयोगी है जो महिलाओं के स्वास्थ्य और भलाई के प्रति समर्पित है। आओ हम समझते हैं, “मासिक धर्म क्या होता है,” और इसका अर्थ, विकास, और जीवन में इसकी भूमिका क्या है।

पीरियड आने के कारण – 

  1. ओव्यूलेशन (अंडाणु निर्माण): मासिक धर्म का यह प्रमुख चरण है, जब अंडाशय एक परिपक्व अंडाणु छोड़ता है। यह अंडाणु निषेचन के लिए तैयार होता है, और अगर निषेचन नहीं होता, तो मासिक धर्म शुरू होता है।
  2. हार्मोनल बदलाव: ओव्यूलेशन के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होते हैं। ये बदलाव मासिक धर्म के लक्षणों को उत्पन्न करते हैं।
  3. उम्र और वृद्धि: किशोरावस्था के शुरुवाती वर्षों में हार्मोनल बदलाव के कारण अनियमित मासिक धर्म हो सकते हैं।
  4. वजन के अचानक बदलाव: वजन की अचानक वृद्धि या घटाव के कारण भी मासिक धर्म में परिवर्तन हो सकते हैं।
  5. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: अत्यधिक तनाव या मानसिक स्वास्थ्य संकट भी मासिक धर्म को प्रभावित कर सकते हैं।
  6. व्यायाम की अधिकता: अत्यधिक शारीरिक गतिविधियाँ भी मासिक धर्म की सामान्य गति को बाधित कर सकती हैं।
  7. थायराइड समस्याएं: थायराइड की समस्याएं हार्मोन संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं, जो मासिक धर्म को असमंजस में डाल सकती हैं।
  8. दवाएं और चिकित्सा स्थितियां: कुछ दवाएं और चिकित्सा स्थितियाँ जैसे पीसीओएस, मासिक धर्म के चक्र को प्रभावित कर सकती हैं।
  9. गर्भावस्था: गर्भावस्था की शुरुवात में मासिक धर्म रुक जाते हैं, इसलिए यह भी एक कारण हो सकता है।
  10. धूम्रपान और शराब: धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी मासिक धर्म के चक्र को प्रभावित कर सकता है।

पीरियड आने के लक्षण – 

पीरियड आने के लक्षण’ (Period Aane Ke Lakshan) निम्नलिखित हो सकते हैं:

a- स्तन में दर्द या सूजन: पीरियड्स के आने से पहले कुछ दिनों में महिलाओं के स्तनों में दर्द या सूजन की समस्या आना आम बात है। यह असुविधा महसूस कराने वाली हो सकती है और कई बार छूने पर भी दर्द हो सकता है।

कारण:

  1. हार्मोनिक बदलाव: मासिक धर्म के आसपास शरीर में हार्मोन के स्तर में बदलाव होने पर स्तनों की नसों और उत्तकों में सूजन आ सकती है।
  2. वजन वृद्धि: प्रियोड्स से पहले वजन बढ़ने से भी स्तन में सूजन और दर्द हो सकता है।
  3. गर्भाशय का विस्तार: गर्भाशय के विस्तार से स्तनों की नसों में दबाव पड़ सकता है, जो दर्द का कारण बन सकता है।

उपचार:

  • सही ब्रा का चयन: सही आकार और संरचना की ब्रा पहनने से दर्द को कम किया जा सकता है।
  • गर्म या ठंडी सिकाई: गर्म पानी की थैली या बर्फ की सिकाई से दर्द में आराम मिल सकता है।
  • व्यायाम: नियमित व्यायाम और तंदुरुस्त जीवनशैली भी इस समस्या को नियंत्रित कर सकती हैं।

b- मूड स्विंग्स: मासिक धर्म के आने से पहले महिलाओं में अक्सर मूड स्विंग्स की समस्या होती है।

कारण:

  • हार्मोन बदलाव: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में अचानक बदलाव हो सकते हैं, जिससे मूड में अस्थिरता हो सकती है।

उपचार:

  • ध्यान और योग: ध्यान और योग से मन को शांति मिलती है, और मूड स्विंग्स को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • संतुलित आहार: पोषण संतुलित आहार से भी मूड स्विंग्स पर नियंत्रण पा सकते हैं।\

c- पेट दर्द: पीरियड्स के समय कुछ औरतों को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है।

कारण: गर्भाशय की कटौती: गर्भाशय की कटौती से पेट दर्द हो सकता है।

उपचार: गर्म पानी की थैली: दर्द वाली जगह पर गर्म पानी की थैली रखने से राहत मिल सकती है।

d- सिर दर्द: हार्मोन बदलाव से सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है।

कारण:  हार्मोन असंतुलन: एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट से सिर दर्द हो सकता है।

उपचार: विश्राम: सिर दर्द में आराम करना और अच्छी नींद लेना फायदेमंद होता है।

e- भोजन की तलब: कुछ विशेष खुराक की तलब बढ़ सकती है।

कारण: हार्मोन बदलाव: हार्मोन के बदलाव से खाने की तलब बदल सकती है।

उपचार: संतुलित आहार: संतुलित और पोषण संबलित आहार लेना चाहिए।

f- अवसादन: कई महिलाएं पीरियड के दिनों में अवसादित महसूस करती हैं।

उपचार: मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान: ध्यान, योग, और व्यायाम जैसी गतिविधियाँ करना चाहिए।

g- नींद की समस्याएं: अनिद्रा या अधिक नींद आ सकती है।

उपचार: नियमित नींद का समय: नींद की समस्या को दूर करने के लिए नियमित समय पर सोना चाहिए।

h- पसीना: हार्मोन के बदलाव से अधिक पसीना आ सकता है।

उपचार: हाइजीन का पालन: अधिक पसीने को नियंत्रित करने के लिए अच्छी तरह से स्नान करना चाहिए।

i- त्वचा पर बदलाव: त्वचा में बदलाव जैसे कि मुंहासे हो सकते हैं।

उपचार: त्वचा की देखभाल: त्वचा को साफ रखने के लिए नियमित रूप से धोना और मॉइस्चराइज़ करना चाहिए।

j- पेट की सूजन: ‘पेट की सूजन’ पीरियड आने के लक्षणों में से एक होता है। यह ज्यादातर महिलाओं को मासिक धर्म के आसपास महसूस होता है। इसके पीछे के कारण और उसके सम्बंधित विवरण को समझने के लिए निम्नलिखित विवरण दिया गया है:

कारण:

  1. हार्मोनिक बदलाव: पीरियड के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर में बदलाव होते हैं, जो पेट में सूजन का कारण बन सकते हैं।
  2. पेट की गैस: मासिक धर्म के दौरान पेट में गैस बन सकती है, जिससे पेट की सूजन आ सकती है।
  3. गर्भाशय का विस्तार: गर्भाशय के विस्तार से भी पेट की निचली ओर में सूजन की भावना हो सकती है।

उपचार:

  • संतुलित आहार: फाइबर युक्त और पोषण से भरपूर आहार लेना सूजन को कम कर सकता है।
  • पानी का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर की शुद्धिकरण प्रक्रिया में मदद मिलती है, जो सूजन को नियंत्रित कर सकती है।
  • व्यायाम: नियमित व्यायाम करना भी पेट की सूजन को कम कर सकता है।
  • चिकित्सकीय परामर्श: यदि सूजन नियमित रूप से हो रही हो तो चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए, ताकि वे ठीक कारण का पता लगा सकें और उपयुक्त उपचार दे सकें।

FAQs (Frequently Asked Questions)

Period Kaise Hota Hai?

‘पीरियड कैसे होता है’ के विषय में, यह एक नेचुरल प्रक्रिया है जो महिलाओं के जनन सिस्टम का हिस्सा है। निम्नलिखित है इसका विवरण:

  1. ओव्यूलेशन (अंडाणु निर्माण): मासिक धर्म की शुरुआत में, अंडाशय एक अंडाणु छोड़ती है, जिसे ओव्यूलेशन कहते हैं।
  2. अंडाणु का प्रस्तारित होना: अंडाणु एक नलिका के माध्यम से गर्भाशय में पहुंचती है, जहां यह नर शुक्राणु से मिलने की प्रतीक्षा करती है।
  3. अंडाशय की परत का तैयारी: अगर गर्भाधान नहीं होता है, तो गर्भाशय की अंदरूनी परत जिसमें गर्भ ठहरने की संभावना होती है, वह तैयार होती है।
  4. रक्त और उत्कृष्ट पदार्थ का पतन: गर्भाशय की इस अंदरूनी परत का पतन होता है, और वह रक्त और अन्य तरल पदार्थों के साथ बाहर निकल जाता है।
  5. मासिक धर्म: यह रक्त और तरल पदार्थ वजाइना के माध्यम से बाहर आता है, और इसे ही पीरियड या मासिक धर्म कहते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर 3 से 7 दिन तक चल सकती है।

अधिक मासिक धर्म  (Excessive Period Bleeding) होने पे स्त्री के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

स्त्रियों  को  अनेक  रोगों  से गुजरना  पड़ता  है | प्रतिमाह  मासिक   धर्म  के  समय  मासिक  स्राव  अधिक  होने  लगता  है | इससे  उन्हें  काफी  कष्ट से  गुजरना पड़ता  है  अगर  सही  सने  पर  इसका  इलाज  हो  जाता  है  तो  ज्यादा परेशान होना नहीं  पड़ता  है | अधिक स्राव (excessive period bleeding) के  कारण अधिक  खून  निकलने  के  कारण  स्त्रियां  कमजोर  होती  चली  जाती  है |

  • स्त्रियों के गर्भाशय में समस्याएं: गांठ पड़ना, फोड़ा होना, डिम्ब ठीक तरह से न बनाना
  • गर्भाशय के स्थान का बदलाव: गर्भाशय इधर-उधर हो जाना
  • विभिन्न रोग: गठिया रोग, पीलिया रोग, वायु रोग, हिस्टीरिया रोग
  • शारीरिक दुर्बलता: स्नायु दुर्बलता, जरायु से खून आना
  • अन्य जीवनशैली संबंधित कारण: मासिक धर्म के समय सम्भोग करना, उल्टा-सीधा खाना पीना

इन कई कारणों के चलते मासिक धर्म के समय मासिक स्राव अधिक होने लगता है। इसे ध्यान में रखते हुए, उपयुक्त चिकित्सा सलाह और जीवनशैली में सुधार करना महत्वपूर्ण हो सकता है।


पीरियड क्यों रुक जाता है और इर्रेगुलर पीरियड क्यों हो जाता है ?

मासिक  धर्म  के  रुकने  या  अनियमितता  में  अधिक  सम्भोग , खून  की  कमी , माहवारी  के   समय  ठंडी  चीज़ों   को  खाना , पानी  में  अधिक  देर  तक  भीगना , अनायास  ही  इधर -उधर  घूमना , चिंता , क्रोध , कष्ट , सुस्ती , मासिक  धर्म  के  समय  खान -पान  का ध्यान  न  रखना  व  नशीले   वस्तुओं  का  सेवन  करना  आदि  कारण  है . इन  तमाम  कारणों  व  लापरवाहियों  के  कारण  मासिक  धर्म  में  गड़बड़ी  हो  जाती  है . कभी -कभी  मासिक  धर्म  रुक  जाने  के बाद  काफी  दिनों  के  बाद आता  है |

स्त्रियों  का  मासिक  धर्म  निश्चित समय  पर  स्वतः  ही   आता  रहता  है . यदि  मासिक  धर्म  में  अनियमितता  आ  जाती  है  तो  स्त्रियों को  इस  रोग  के  अलावा  अन्य  रोग  भी  लग  जाते  है . मासिक  धर्म  समय  से  न  आने  की  वजह  से  स्त्रियां  गर्भ  धारण  नही  कर  पाती  है  और  माँ  के सुख  से  वंचित  रह  जाती  है . यह  रोग  शरीर  में  किसी  न  किसी  चीज़  की  कमी  के  कारण  होता  है |


पीरियड रुक जाने पर या इर्रेगुलर पीरियड में शरीर में क्या लक्षण होते है ?

मासिक  धर्म  में  गड़बड़ी  होती  है  तो  स्त्रियों  को  भूख नही  लगती  है  गर्भाशय  मेंदर्द , उलटी , कब्ज , गैस , स्तनों   में   दर्द , दूध  कम  होना , कान  में  तरह -तरह  की  आवाजे , नींद न आना , पेट  दर्द , कमर  दर्द , बार -बार  दस्त  लगना , सांस  लेने  में  परेशानी , शरीर  दर्द , स्वर  भग , मानसिक   तनाव , चिंता , हाँथ  व पैरो  में  दर्द , शरीर  में  सूजन , आदि  इसके  प्रमुख  लक्षण  है . मासिक  धर्म  रुक  जाने  पर  जब  ये  लक्षण  सामने  आये  तो   तुरंत  इसका  उपचार  करना  चहिये .  मासिक  स्राव अधिक  होने  पर  शरीर दर्द , सर  दर्द , जांघ दर्द , सुस्ती  व  काम करने  की  इच्छा  न  करना  आदि  लक्षण दिखाई  देते  है |


पीरियड रुक जाने पर या इर्रेगुलर पीरियड में शरीर में क्या घरेलु उपचार है ?

आसानी से समझने वाले उपाय दिए गए हैं जो स्त्रियों की मासिक अनियमितता को दूर करने में सहायक हो सकते हैं:

मासिक अनियमिता दूर करने के उपयोगी  नुस्खे –

  1. 1. बैंगन के पत्तों और गुड़ का उपयोग:
    • पत्ते: 50-60 ग्राम
    • गुड़: 50-60 ग्राम
    • पानी: 500 ग्राम
    • उपयोग: पानी में उबालें और छानकर पीएं, अधिक स्राव बंद हो जाएगा।

    2. कच्चे पापीते का रस:

    • उपयोग: 2-3 चम्मच, दिन में 3-4 बार, मासिक स्राव नियंत्रित होगा।

    3. गुड़ और अजवाइन का हलवा:

    • गुड़: 60 ग्राम
    • अजवाइन: 6 ग्राम
    • उपयोग: घी में हलवा बनाकर सेवन करें, अधिक मासिक स्राव की समस्या दूर होगी।

    4. धनिया और चावल का पानी:

    • उपयोग: 2-3 चम्मच धनिया, चावल के पानी के साथ, ज्यादा मासिक स्राव से छुटकारा मिलेगा।

    5. गाय का दूध और केले के तने का रस:

    • दूध: 250-300 ग्राम
    • केले के तने का रस: 50-60 ग्राम
    • उपयोग: ८ दिन तक खाली पेट पीएं, मासिक स्राव की बीमारी दूर होगी।

आवश्यक सूचना: यह लेख जानकारी के लिए है, मेडिकल नसीहत के रूप में नहीं। किसी भी दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।


पीरियड जल्दी लाने की मेडिसिन कानून सी होती है ?

मासिक धर्म अक्सर कई कारणों से विलंबित हो सकता है। स्ट्रेस, हार्मोनल असंतुलन, शारीरिक कमजोरी आदि मुख्य कारण हो सकते हैं। ऐसे में, कई बार महिलाएं Period Jaldi Lane ki medicine की मदद लेती हैं।

Period Jaldi Lane ki Popular medicine

Primolut N

  • विशेषताएं: यह दवा नॉरथिंड्रोन नामक हॉर्मोन का प्रयोग करती है।
  • दुष्प्रभाव: ब्रेस्ट टेंडरनेस, नॉजिया, वेट गेन।

Medroxyprogesterone Acetate

  • विशेषताएं: यह प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का सिंथेटिक फॉर्म है।
  • दुष्प्रभाव: चक्कर, सिर दर्द, मूड स्विंग्स।

घरेलू उपाय

  • पापीता: अकेले या जूस के रूप में, पापीता मासिक धर्म को जल्दी लाने में मदद कर सकता है।
  • जीरा पानी: जीरा को उबालकर बना पानी भी एक अच्छा घरेलू उपाय है।

सावधानियां

  • अगर आप प्रेगनेंट हैं या ऐसा संभावना है, तो इन दवाओं का सेवन नहीं करें।
  • किसी भी दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।

2. Norethisterone

विशेषताएं:

  • एक सिंथेटिक प्रोजेस्टरोन हार्मोन है।
  • मासिक धर्म की देरी को रोकने में मदद कर सकती है।

Medroxyprogesterone Acetate (Provera)

विशेषताएं:

  • हार्मोनल थेरेपी का हिस्सा है।
  • मासिक धर्म की अनियमितता को नियंत्रित कर सकती है।

समीक्षा:

  • अधिकांश रूगियों के लिए कारगर सिद्ध होती है।
  • कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे कि सिर दर्द, पेट दर्द, थकान आदि।

Norethisterone

विशेषताएं:

  • एक सिंथेटिक प्रोजेस्टरोन हार्मोन है।
  • मासिक धर्म की देरी को रोकने में मदद कर सकती है।

समीक्षा:

  • ज्यादातर महिलाओं के लिए कारगर होती है, लेकिन चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं लेनी चाहिए।
  • इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे कि वजन बढ़ोतरी, स्तन में सूजन, आदि।

Note – इन दवाओं का उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर किया जाना चाहिए। यह जानकारी सिर्फ एक मार्गदर्शिका है और किसी भी मेडिकल चिकित्सा का स्थान नहीं ले सकती।


मासिक  धर्म  खोलकर होने या मासिक धर्म लाने के लिए घरेलु उपचार

  1. लाल  गुड़हल  के  फलो  को  कांजो  के  साथ  पीसकर  पीने  से महावारी  खुल  जाती  है |
  2. कलिहारी जड़   पानी  में  पीसकर  मस्तक  पर  लेप  करने  से  महावारी  खुल  जाती  है |
  3. मूली , गाजर , तथा  मेथी  के  बीजो  को  एक -एक  छटाक  लेकर  कूटपीस  छान  कर  रख  ले  इस  चूर्ण  को  25-30 ग्राम  की  मात्रा  अशोकारिष्ट  4 चम्मच  रोजाना  के  साथ  २  महीने  पिलाये|

अनियमित मासिक धर्म से अगर आप परेशान है तो करिये ये घरेलु उपचार

  1. मासिक  धर्म  में  अनियमितता  के  साथ  यदि  दर्द  हो  तो  आधा  चम्मच  कलौंजी दिन   में   दो  बार  मासिक  धर्म  के  दौरान  लीजिये . कलौंजी  के  बीजो  का चूर्ण  बनाकर  रखले  तथा  इसे  गर्म   पानी  के  साथ  लीजिये , इससे  लाभ  होगा |
  2. मासिक  धर्म  में  अनियमितता  होने  पर  घीकुमारी   के  गूदा  पर  पलाश  का  क्षार  छिड़क  कर  सेवन  करे  इससे  मासिक  धर्म   शुद्ध  होता  है |
  3. यदि  मासिक धर्म  नियमित  न  हो  तो गाजर  का  सेवन  करना  चाहिए  २००  ग्राम  गाजर  का  रस  सुबह  शाम जल  के  साथ  सेवन  करने  से  मासिक  धर्म  नियमित  होने  लगता  है |

अतिशय या अधिक ऋतुस्त्राव में करे ये उपाय

  1. मासिक  धर्म  में  अधिक  रक्तस्ताव  होने  पर  दूब  को  पीसकर  उसका  रस  नियमित  सुबह  २०  ग्राम  पीना  चाहिए |
  2. मासिक  धर्म  की  अधिकता  में  विदारीकंद   के  छोरना  को   घी  तथा  शक्कर  के   साथ   मिलाकर  चाटने  से  आधिक्य  रक्तस्राव  की   मात्रा सामान्य  हो   जाती  है|
  3. भूई   आवला  मासिक  धर्म  की  अधिकता  में  अत्यंत  उपयोगी  नुस्खा   है  इसकी  जड़   के  चूर्ण  को  3-4 ग्राम  की  मात्रा   में  चावल      के  माड़  के  साथ  सेवन  करने  से   मासिक  धर्म  की  अधिकता  रुक  जाती  है |
  4. मासिक  धर्म  न  रुकता हो  तो  बकायन  के  कोपलों  का  रस   निकालकर  पीने  से  मासिक  धर्म  सामान्य  हो  जाता  है |

कष्टप्रद  मासिक  धर्म या पीरियड के समय अधिक दर्द होता है करए ये घरेलु उपाय

कष्टप्रद  मासिक  धर्म  में  केसर  तथा  अकरकरा  की गोली  बनाकर  देने  से  मासिक  धर्म  नियमित  होने  लगता  है |

  1. कपास  की  जड़  ६०  ग्राम   कूटकर  एक लीटर  पानी  में  उबले  जब  ¼ रह  जाये , तो  छानकर  थोड़ी  से  मिश्री  मिलाकर  पिए , माहवारी  दर्द  से  आना , थोड़ी  आना  अदि  विकारों  में  यह  लाभप्रद  नुस्खा  है |
  2. मासिक  धर्म  से  १०  दिन  पहले  सुबह  के  समय  गर्म  पानी  पिए . इससे  पेट  साफ़  होता  है  और  गर्माहट  से   शरीर  में  खून  का  बहाव  बढ़ता  है , साथ  ही  साथ  पेशियों  को  राहत  मिलती  है . थोड़ी  थोड़ी  देर  में  गर्म  पानी  की  बोतल  से  पेट  को  सेंक  भी  सकते  है|
  3. घृतकुमारी  के  ५  ग्राम  गूदे  पर  पलाशक्षार छिडककर  एक  महीने  नियमित  सेवन  करने  से  लाभ  होता  है|
  4. एक  बड़ी  इलाइची , 2-3 ग्राम अदरक , 4 कालीमिर्च  इन्हें  कूटकर  उबलते  पानी  में  डालिये , फिर  इसमें  काली  चाय , दूध  तथा  शक्कर  मिलाइये , उबालकर  थोड़ी  देर  रखने  के  बाद  गर्म  ही  पिए , मासिक  धर्म  से  मुक्ति  के  लिए  ये  अत्यंत  उपयोगी  नुस्खा है|
  5. खून  खराबा , अशोक  की   छाल , गिलोय , नागकेशर , पठनेलौंध   – इन  पांचो  का   चूर्ण  बना  ले ,  रोजाना  5  ग्राम  की  मात्रा  में  सुबह  ठन्डे  पानी  के  साथ  लेने  से  दर्द  से  होने  वाली  महामारी  सही  आने  लगती  है|
  6. मासिक  धर्म  के  दर्द  को  ठीक  करने  के  लिए  ½ चम्मच  कलौंजी  के  बीज  का  चूर्ण  दिन  में  दो  बार  गर्म  पानी  के  साथ  मासिक  धर्म  के  दौरान  ले . यदि  दर्द  बहुत  ज्यादा  है  तो  मासिक  धर्म  शुरू  होने  से  3-4 दिन  पहले  से  ये  विधि  आरम्भ  करे  तथा  मासिक  धर्म  समाप्त  होने  तक   जारी  रखे|
  7. मासिक  पीड़ायुक्त  होता  हो , तो  तेजपात  का  काढ़ा  बनाकर  पिए , इन  पत्तो  को  पीसकर  इसका  लेप  पेड़ू  पर  करे , इससे  थोड़ा   सा  शमन  होता  है |

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