Treatment of Night fall – स्वपनदोष ठीक करने के घरेलु इलाज
- चार ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह -शाम पानी के साथ लेने से स्वप्न दोष लाभ होता है।
- पिसे के छिलके 5 -5 ग्राम सुबह -शाम पानी से लेने से स्वप्न दोष लाभ होता है।
- दो केले खाकर ऊपर से एक पाव गरम दूध तीन महीने लेने से लाभ होता है।
- लहसुन की दो काली के टुकड़े पानी से निगल जाये। यह प्रयोग रात को सोते समय हाथ-पीर धोकर नित्य करे।
- दस ग्राम सफ़ेद प्याज का रस,अदरक का रस आठ ग्राम,शहद पांच ग्राम ,घी तीन ग्राम मिलाकर रात में सोते समय पिने से स्वप्न दोष दूर होता है।
- हरड़ का वक्कल, बहेडे़ का वक्कल तथा गुठली रहित आमले, बबूल के पुष्प, हल्दी और छोटी दूधी यह सभी द्रव्य समान भाग लेकर कूट-कपड़छन करें और इस चूर्ण का जितना वजन हो, उतनी ही मिश्री मिलायें।
मात्रा- 5 से 10 ग्राम तक गाय के दूध के साथ रात में सोते समय सेवन करें। इससे कब्ज भी मिटता है और क्षुधा की भी वृद्धि होती है। प्रमेह रोग में उत्तम योग है। - जौ का साफ ताजा आटा सब प्रकार के प्रमेह में लाभकारी रहता है। इसे भोजन के रुप में प्रयोग किया ही जाता है, दवा के रुप में भी काम लिया जाता है। इसके लिये जौ का आटा एक चम्मच शहद के साथ प्रातः-काल शहद के साथ नाष्ते स्थान पर सेवन करना चाहिये। जौ का आटा पंजीरी के रुप में भून लेना चाहिये। कम से कम 30-40 दिन सेवन करें।
- छोटी इलायची के बीज और शर्करा समान भाग लेकर चूर्ण बना लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में प्रातः-सायं शहद के साथ सेवन करना चाहिये। मधुमेह में इसे न दें, अन्य सभी प्रमेहों में हितकर है। छोटी इलायची का चूर्ण शर्करा के शर्बत के साथ सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है।
- हल्दी का चूर्ण 3 से 5 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से सब प्रकार के प्रमेह दूर होते हैं।
- छोटी दूधी छाया-षुष्क करके, समान भाग मिश्री के साथ खरल करें।
मात्रा- 5 से 10 ग्राम तक गाय के दूध के साथ सेवन करनी चाहिये। सब प्रकार के प्रमेह मेें लाभकारी है। - बबूल की छाल, महुए की छाल और कटहल की छाल समान भाग लेकर, कपड़छन चूर्ण बनावें। यह चूर्ण 150 ग्राम में 1 ग्राम चाँदी की भस्म मिला कर पुनः खरल करें। मात्रा 5 ग्राम प्रातः-सायं शहद मिला कर लेनी चाहिये। प्रमेह के सभी भेदों में यह दवा लाभदायक रहती है।
- असगन्ध और विधायरा समान भाग लेकर कूट-कपड़छन करें। यही आयुर्वेद का प्रसिद्ध अष्वगन्धादि चूर्ण है। इसकी मात्रा 4 से 8 ग्राम तक रोगी का बलाबल विचार कर देनी चाहिये। अनुपात में मिश्रीयुक्त गोदुग्ध दिया जाय। प्रातः-काल न्यूनतम 40 दिन प्रयोग करें। इससे शरीर में शक्ति बढ़ती है तथा सभी प्रकार के प्रमेह नष्ट होते हैं। इसके सेवन से कब्ज हो सकता है, इसलिये कभी-कभी रात्रि मेें सोते समय त्रिफला की फंकी दूध के साथ ली जा सकती है।