लकवा दूर करने के कारण, लक्षण व उपचार -Home Remedies For Cure of Paralysis

लकवा होने पर क्या और कैसे होता है ?

पक्षाघात या लकवा मारना में एक या उससे ज्यादा मांसपेशी समूह की मांसपेशियों सही तरीके से काम नही कर पाती है  और इस तरह के रोग को पक्षाघात ( Paralysis – Lakva )  होने की स्थिति को कहते हैं। पक्षाघात ( Paralysis – Lakva ) रोग के कारण प्रभावित अंग की  संवेदन.शक्ति खत्म जाती है या उस अंग या भाग को  चलना या फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है। यदि दुर्बलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात ( Paralysis – Lakva ) कहते हैं.

लकवा बहुत ही खतरनाक रोग है। लकवा रोग होेने पर शरीर सूख जाता है। जिस अंग पर लकवा मारता है वह अंग बेकार हो जाता है। रोगी असहाय व कमजोर हो जाता है। उसे चलने-फिरने के लिए दूसरे का सहारा लेना पड़ता है, इसमें शरीर के अंग निष्क्रिय तथा चेतना शून्य हो जाते हैं। शरीर का हिलना डुलना मुश्किल हो जाता है।

लकवा होने का कारण – Causes of Paralysis

पक्षाघात (  – Lakva ) तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त या खून की बहाव  या आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका या नस  फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है और खून का थक्का बन जाता है. उसी प्रकार जब किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव या कमी होती है तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह या खून की कमी रुक जाती है या कमी हो जाती  है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है.
शरीर की सभी पेशियों का नियंत्रण (Control ) केंद्रीय तंत्रिकाकेंद्र, मस्तिष्क और मेरुरज्जु की सहयोगी तंत्रिकाओं से होता है, जो पेशियों तक जाकर उनमें प्रविष्ट होती हैं. अत: स्पष्ट है कि मस्तिष्क से पेशी तक , और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में या पेशी में पक्षाघात ( Paralysis – Lakva ) रोग हो जाने से पक्षाघात हो जाता  है. सामान्य रूप में चोट या  अचानक तेज दाब और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में दाब आदि  किसी भी कारण से उत्पन्न अवरोध के फलस्वरूप  आंशिक या पूर्ण पक्षाघात ( Paralysis – Lakva ) होता है.
शरीर के जिस अंग में खून उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता है वह अंग सुन हो जाता है। इसी को हम लकवा कहते हैं। इसके अलावा यह रोग रक्तचाप के बढ़ने, गुप्त स्थान पर अचानक चोट लगने, मानसिक कमजारी, नाड़ियों की कमजोरी, ज्यादा ठंडी चीजें खाने व ज्यादा वायु बनाने वाले खाद्य पदार्थों के खाने आदि से हो जाता है। लकवा तीन प्रकार का होता है-
1- एक तो पूरी शरीर पर,
2- दूसरा आधे शरीर पर और
3- तीसरा मुंह पर होता है।

लकवा के लक्षण – Symptoms of Paralysis

इस रोग में पूरा शरीर, आधा शरीर(half body) व छोटी नसें सूख जाती हैं। खून(blood) का संचार बंद हो जाता है। जिस भी अंग पर लकवा गिरता है, वह अंग बेकार हो जाता है। रोगी अपना अंग हिलाने-डुलाने में असमर्थ हो जता है। अगर लकवा(lakwa)मुँह पर गिरता है तो रोगी बोल नहीं पाता है। इसके अलावा आंख, कान व नाक भी रोग ग्रस्त तथा टेढे-मेढे हो जाते हैं। गरदन टेढ़ी हो जाती है और होंठ नीचे को लटक जाते हैं। चमड़ी को खरोचनें पर भी दर्द नहीं होता है। दांतों में भयानक दर्द शुरू हो जाता है। एक तरह से रोगी का पूरा शरीर कुरूप व बेकार हो जाता है।

लकवा पैरालिसिस को जड़ से ठीक करेंगे ये २२ आयुर्वेदिक उपचार – Home Remedies For Paralysis

  1. दूध में एक चम्मच सोंठ व थोड़ी-सी दालचीनी डालकर उबालकर छानकर थोड़ा-सा शहद डालकर सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।
  2. तिली के तेल में थोड़ी-सी कालीमिर्च पीसकर या सरसों के तेल में धतूरे का बीज पकाकर लकवा वाले स्थान पर मालिश करने से लकवा(lakwa)ग्रस्त अंग ठीक हो जाता है।
  3. छुआरा या सफेद प्याज का रस दो-तीन चम्मच रोज पीने से लकवा(lakwa)के रोगी को काफी फायदा होता है।
  4. तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक व थोड़ा-सा दही आदि का लेप बनाकर अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाने से लकवा(lakwa) रोग दूर हो जाता है।
  5. अजमोद दस-पन्द्रह ग्राम, सौंफ दस-पन्द्रह ग्राम, बबूना पाँच-दस ग्राम, बालछड़ दस-पन्द्रह ग्राम, व नकछिनी तीस ग्राम इन सबको कूट-पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। फिर इसे एक शीशी में भरकर रख लें। इसमें से चार-पाँच चम्मच काढ़ा रोज सुबह के समय सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।
  6. आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर या कबूतर के खून को सरसों के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से लकवा (lakwa) ठीक हो जाता है।
  7. सोंठ व साबुत उरद दोनों को ३०० ग्राम पानी(water) में उबालकर पानी को छानकर दिन में पाँच-छह बार पीने से लकवा (lakwa) ठीक हो जाता है।
  8. लहसुन की चार-पाँच कलियाँ पीसकर मक्खन में मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।
  9. तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह उबालकर उसकी भाप से रोगी के लकवा वाले स्थान की सेंकाई करने से खून का दौरा शुरू हो जाता है।
  10. कलौंजी के तेल (oil) की मालिश लकवा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।
  11. लकवा में तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, अजवायन का तेल, बादाम का तेल, सरसों का तेल व विषगर्भ तेल आदि से मालिश करना चाहिए।
  12. सब्जियों में परवल, सहिजन की फली, तरोई, लहसुन, बैंगन, करेला व कुल्थी आदि खाना चाहिए।
  13. फलों में आम, कालजा, पपीता, चीकू व अंजीर अदि खाना चाहिए।
  14. भोजन में बाजरे की रोटी, गेहूँ की रोटी व दूध का योग करना चाहिए।
  15. भोजन में चावल, बर्फ, दही, छाछ, दाल, बेसन, चना व तले हुए पदार्थ बिल्कुल न खाएँ।
  16. वीर बहूटी के पांव और सिर निकालकर जो अंग बचें, उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।
  17. काली मिर्च साठ ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे २५० ग्राम तेल में मिलाकर कुछ देर पकाएँ। इस तेल का पतला – पतला लेप करेन से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।
  18. जायफल चालीस ग्राम, पीपली चालीस ग्राम, हरताल वर्की बीस ग्राम, सबको कूट पीसकर कपड़छन कर लेंआधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। उपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।
  19. शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।
  20. धतूरे के बीजों को सरसों के तेल में मंदी आंच में पका लें और  इसे छानकर लकवा से ग्रसित अंग पर मालिश करें।
  21. मक्खन के साथ लहसुन की चार कलियों को पीसकर सेवन करें लकवा ठीक हो जाता है।
  22. एक गिलास दूध में थोड़ी सी दालचीनी और एक चम्मच  सोंठ को मिलाकर उबाल लें। और नियमित इसका सेवन करें। इससे लकवा  में आराम मिलता है।

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