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Top 10 Effective Ayurvedic Sir Dard tablet

Table of Contents

सिरदर्द क्या है ? Sir Dard Kya hai?

सिरदर्द के उत्पन होने के बहुत सी धारणाएँ हैं। परन्तु सर दर्द होना की वजह “मस्तिष्क स्वयं को चोट करने  के लिए संवेदनशील नहीं है, किंतु इसके चारों ओर जो झिल्लियाँ या तानिकाएँ होती हैं, वे अत्यंत संवेदनशील होती हैं। ये किसी भी क्षोभ, जैसे शोथ, खिंचाव, तनाव, विकृति या फैलाव द्वारा सिरदर्द  उत्पन्न करती हैं। आँख तथा करोटि की मांसपेशियों के अत्यधिक तनाव से भी दर्द उत्पन्न होता है।

मसल्स में खिंचाव : आमतौर पर खोपड़ी की मसल्स में खिंचाव के कारण सिरदर्द होता है

सिरदर्द (Sir Dard)या शिरपीड़ा  सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। सिरदर्द या शिरपीड़ा सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। सर के दर्द  के बहुत  प्रकार होते हैं कभी ये सिरदर्द पूरे सिर मे होता है और कभी  पूरे सिर के किसी भी हिस्से मैं दर्द हो सकता है.बहुत से केस मे मैं  मतली  और  वोमितिंग्स भी होती है.इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है।

Headache Causes – Sir Dard Ke karan 

सिरदर्द केवल एक लक्षण है, कोई रोग नहीं है । सिरदर्द अनेक कारण से  हो जाता  हैं, जैसे साधारण चिंता से लेकर घातक मस्तिष्क अर्बुद तक। इसके 1000 से भी अधिक कारण हो सकते है परन्तु सबका  वर्णन यहाँ संभव नहीं है, पर प्रमुख  कारणों को मैंने विभक्त किया है जो निम्न है – 

  • सिरदर्द होने भीतरी  के कारण

  1. मस्तिष्क के रोग – अर्बुद, फोड़ा, मस्तिष्कशोथ तथा मस्तिष्काघात
  2. तानिका के रोग – तानिकाशोथ, अर्बुद, सिस्ट (cyst) तथा रुधिरसमूह (हीमेटोमा)
  3. रक्तनलिकाओं के रोग – रक्तस्राव, रक्तावरोध, थ्रॉम्बोसिस (thrombosis) 
  4. रक्तनलिका फैलाव (aneurism), धमनी काठिन्य आदि।
  • सिरदर्द होने के बाहर के कारण

  1. शिरोवल्क के अर्बुद, मांसपेशियों का गठिया तथा तृतीयक उपदश
  2. नेत्र गोलक के अर्बुद, फोड़ा, ग्लॉकोमा (glauscoma), नेत्र श्लेष्मला शोथ तथा दृष्टि की कमजोरी
  3. दाँतों के रोग – फोड़ा तथा अस्थिक्षय
  4. करोटि के वायुविवर के फोड़े, अर्बुद तथा शोथ
  5. कर्णरोग – फोड़ा तथा शोफ़
  6. नासिका रोग – नजला, पॉलिप (polyp) तथा नासिका पट का टेढ़ापन
  7. गले के रोग – नजला, टांन्सिल के रोग, ऐडिनाइड (adenoid) तथा पॉलिप। 
  • प्रदुषण के करन होने वाला सिरदर्द- जहरीले वातावरण में रहने से सिरदर्द होना 

  1.  बंद कमरे में ज्यादा देर रहने से सिरदर्द हो जाता है आज कल सिरदर्द की  समस्या मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगो में ज्यादा पायी जाती है कारण उनका बंद घर में रहना है 
  2. आजकल पोलुएशन के कारण हवा में जहरीली गैस मिल जातीहै  जैसे  मोटर की गैस, कोल गैस में सास लेने या सुघने से  सिरदर्द हो जाता है
  3. आजकल पोलुएशन के कारण हवा में जहरीली गैस मिल जाती है  जैसे  मोटर की गैस, कोल गैस में सास लेने या सुघने से  सिरदर्द हो जाता है 
  4. क्लोरोफॉर्म, ईथर औषधियाँ सुघने से सिरदर्द हो जाता है 
  5. कुनैन, ऐस्पिरिन,अफीम से भी सिरदर्द हो जाता है जो लोग तंबाकू, शराब, अत्यधिक विटामिन डी, सीसा विष, खाद्य विष का सेवन करते है उनको अक्सर सर दर्द हो जाता है 
  6. फिजिकल स्ट्रेस : लंबे वक्त तक शारीरिक मेहनत और डेस्क या कंप्यूटर के सामने बैठकर घंटों काम करने से हेडेक हो सकता है।
  7. जो लोग  मधुमेह गठिया, कब्ज, गैस (अपच), यकृत के रोग (दिल के रोगो से परेशान रहते है  उनको सिरदर्द की परेशानी बानी रहती है ऐशे लोग को सर दर्द से नही अपनी प्रमुख बीमारी का इलाज कर सकते है  आप मधुमेह गठिया, कब्ज, गैस (अपच) के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में पढ़ सकते है 
  8. कुछ प्राणघातक बीमारी जैसे मलेरिया, टाइफॉइड, (typhoid), टाइफस (typhus) इंफ्ल्यूएंज़ा, और  फोड़ा, फुंसी,कारबंकलसे भी सिरदर्द हो जाता है
  9. विषैली गैस, बंद कमरे का वातावरण, मोटर की गैस, कोल गैस, क्लोरोफॉर्म, ईथर और औषधियाँ, जैसे कुनैन, ऐस्पिरिन, अफीम, तंबाकू, शराब, अत्यधिक विटामिन डी, सीसा विष, खाद्य विष तथा ऐलर्जी (allergy);
  10. अति रुधिर तनाव – धमनी काठिन्य तथा गुर्दे के रोग
  11.   अल्प तनाव – रक्ताल्पता तथा हृदय के रोग
  12.   मानसिक तनाव – अंतद्वैद्व, चेतन एवं अचेतन मस्तिष्क का संघर्ष
  13. शिर पर अत्यधिक दबाव
  14. अत्यधिक शोर
  15.  बीमारी : दूसरी बीमारियां जैसे कि आंख, कान, नाक और गले की दिक्कत भी सिरदर्द दे सकती है।
  16. विशाल चित्रपट से आँखों पपर तनाव
  17. लंबी यात्रा (मोटर, ट्रेन, हवाई यात्रा)
  18. लू लगना
  19. हिस्टीरिया
  20. मिरगी
  21. तंत्रिका शूल
  22. रजोधर्म

Headache Types – सिरदर्द  (Sir Dard)के प्रकार 

  • मंद – करोटि के विवर के शोथ के कारण मंद पीड़ा होती है। यह दर्द शिर हिलाने, झुकने, खाँसने, परिश्रम करने, यौन उत्तेजना, मदिरा, आशंका, रजोधर्म आदि से बढ़ जाता है।
  • स्पंदी – अति रुधिरतनाव पेट की गड़बड़ी या करोटि के भीतर की धमनी के फैलाव के कारण स्पंदन पीड़ा होता है। यह दर्द लेटने से कम हो जाता है तथा चलने फिरने से बढ़ता है।
  •  आवेगी – तंत्रिकाशूल के कारण आवेगी पीड़ा होती है। यह दर्द झटके से आता है और चला जाता है।
  • तालबद्ध – मस्तिष्क की धमनी का फैलाव, धमनीकाठिन्य तथा अतिरुधिर तनाव से इस प्रकार की पीड़ा होती है।
  • वेधक – हिस्टीरिया में जान पड़ता है जैसे कोई करोटि में छेद कर रहा हो।
  • लगातार – मस्तिश्क के फोड़े, अर्बुद, सिस्ट, रुधिरस्राव तथा तानिकाशोथ से लगातार पीड़ा होती है।
सिर पीड़ा के स्थान, समय, प्रकार तथा शरीर के अन्य लक्षणों एवं चिन्हों के आधार पर शिर:पीड़ा के कारण का निर्णय या रोग का निदान होता है।
मुख्यतया सिरदर्द चार प्रकार के होते है  :
  1. माइग्रेन
  2. तनाव
  3. हेडेक (मसल्स में खिंचाव),ट्यूमर हेडेक और
  4. साइनस हेडेक।
और भी जानें ➡️

10 Ayurvedic Sir Dard Tablet 

  1. Cephagraine Tablets एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे सिर दर्द और माइग्रेन के उपचार में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह टैबलेट विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक घटकों से बनती है, जिससे इसे प्राकृतिक और सुरक्षित माना जाता है। Sir Dard tablet के रूप में, Cephagraine के उपयोग से नसों का शिथिलन होता है और तानाव मुक्त होता है, जिससे सिर दर्द में राहत मिलती है।
  2. Sudarshan Ghanvati एक आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसे विभिन्न प्रकार के सिर दर्द और अन्य वायरल लक्षणों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। Sir Dard tablet के रूप में, इसका उपयोग खासकर तानाव से उत्पन्न होने वाले सिर दर्द में किया जाता है। Sudarshan Ghanvati विभिन्न जड़ी-बूटियों से बनी है और इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं। इसके उपयोग से सिर के नसों में शिथिलता आती है, और तानाव और दर्द में काफी राहत मिलती है।
  3. Godanti Bhasma एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे सिर दर्द, बुखार और अन्य वाता-दोष संबंधित रोगों में इस्तेमाल किया जाता है। Sir Dard tablet के रूप में, यह टैबलेट आमतौर पर माइग्रेन और तेज सिर दर्द में इफेक्टिव मानी जाती है। Godanti Bhasma में कैल्शियम भी अच्छी खासी मात्रा में होता है, जिससे नसों का शिथिलन होता है और सिर दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा, यह दवा पित्त और कफ को भी नियंत्रित करती है, जिससे चक्कर और उल्टी जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
  4. Pathyadi Khada एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे सिर दर्द, माइग्रेन, और नसों संबंधित दिक्कतों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, यह दवा विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक घटकों से बनी होती है जिससे सिर दर्द में बहुत राहत मिलती है। Pathyadi Khada नसों को शिथिल करता है और इससे ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है। यह दवा सिर दर्द को नहीं केवल कम करती है, बल्कि इसके लगातार उपयोग से सिर दर्द की समस्या से लंबे समय तक छुटकारा मिल सकता है। हालांकि, इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह अनिवार्य है।
  5. Sarpagandha Ghan Vati एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे विभिन्न तरह के सिर दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, और निद्रा की कमी में इस्तेमाल किया जाता है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, यह टैबलेट नसों को शिथिल करती है और मानसिक तानाव को कम करती है, जिससे सिर दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि इसमें कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। यह दवा आमतौर पर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा प्रिस्क्राइब की जाती है।
  6. Brahmi Vati एक प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है जिसे सिर दर्द, मानसिक तानाव, और स्मृति संबंधित समस्याओं के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, इसे विशेषकर तानाव से उत्पन्न होने वाले सिर दर्द में उपयोग किया जाता है। Brahmi Vati में ब्राह्मी जैसी जड़ी-बूटियाँ होती हैं, जो मानसिक शांति प्रदान करती हैं और नसों को शिथिल करके सिर दर्द में राहत देती हैं।
  7. Yogendra Ras एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्यत: वात, पित्त, और कफ़ को बैलेंस करने में सहायक है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, इस दवा का उपयोग सिर दर्द और माइग्रेन के उपचार में किया जाता है। इसमें भारतीय जड़ी-बूटियों के संयोजन होते हैं, जो सिर दर्द में तत्काल राहत प्रदान करते हैं। Yogendra Ras नसों को शिथिल करके ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे दर्द में कमी आती है।
  8. Arogyavardhini Vati एक विशेष आयुर्वेदिक दवा है जिसे विभिन्न प्रकार के रोगों, जैसे जिगर, पेट, और त्वचा संबंधित समस्याओं में उपयोग किया जाता है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, इसका उपयोग विशेषत: पित्तज सिर दर्द में किया जाता है। Arogyavardhini Vati पित्त को नियंत्रित करके सिर दर्द में राहत प्रदान करती है और नसों के शिथिलन में भी मदद करती है।
  9. Migrakot Tablets एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका मुख्य उपयोग माइग्रेन और सिर दर्द में किया जाता है। ‘Sir Dard tablet’ के रूप में, यह टैबलेट विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक घटकों से बनी है जो माइग्रेन और तानाव संबंधित सिर दर्द में अत्यंत कारगर हैं। Migrakot Tablets मानसिक शांति प्रदान करते हैं और नसों को शिथिल करके राहत प्रदान करते हैं।
  10. Anu Taila मुख्यत: एक नासिका तेल है, लेकिन इसे ‘Sir Dard tablet’ के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक तेल विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक घटकों से तैयार किया जाता है। Anu Taila का उपयोग नासिका में करने से सिर दर्द, माइग्रेन, और नासिका संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। यह तेल नसों और मांसपेशियों को शिथिल करता है, जिससे सिर दर्द में काफी राहत मिलती है।

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