Doctor and patient discussing about breast cancer kaise hota hai?

Breast Cancer Kaise Hota Hai

स्तन कैंसर कैसे होता है: स्तन कैंसर महिलाओं में और, कम मात्रा में, पुरुषों में भी पाया जाता है। यह तब होता है जब स्तन के अंदर के कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं।

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हॉर्मोनल असंतुलन और स्तन कैंसर:

हॉर्मोनल असंतुलन, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के असंतुलन, स्तन कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हॉर्मोन्स शरीर के विभिन्न फ़ंक्शन्स को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, और उनके असंतुलन से कोशिकाओं का अनियंत्रित वृद्धि हो सकती है।

एस्ट्रोजन:

  1. उत्पादन: मुख्यत: अंडाशय में उत्पन्न होता है।
  2. भूमिका: स्तन कोशिकाओं के विकास और वृद्धि में योगदान करता है।
  3. असंतुलन के परिणाम: अधिक एस्ट्रोजन उपस्थिति में, स्तन कोशिकाएं अधिक तेजी से विकसित हो सकती हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

प्रोजेस्टेरोन:

  1. उत्पादन: अंडाशय और प्लासेंटा में उत्पन्न होता है।
  2. भूमिका: गर्भावस्था और मासिक धर्म क्यांप को नियंत्रित करता है।
  3. असंतुलन के परिणाम: प्रोजेस्टेरोन का असंतुलन भी स्तन के कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि में योगदान कर सकता है।
प्राथमिकता:

यदि आपका परिवारिक इतिहास में स्तन कैंसर है या आपके हॉर्मोनल स्तर में असमानता है, तो आपको नियमित रूप से स्क्रीनिंग और जाँच करानी चाहिए।

कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए मेडिकल एडवाइस जरूरी है

Table of Contents

जेनेटिक कारण और स्तन कैंसर:

जेनेटिक फैक्टर्स भी स्तन कैंसर के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। खासकर, बीआरसीए (BRCA) 1 और BRCA2 जैसे जीन्स का मौजूदगी स्तन कैंसर के जोखिम को अधिक बनाता है।

बीआरसीए (BRCA) जीन्स:

  1. क्या हैं: ये जीन्स आमतौर पर ट्यूमर सप्रेसर जीन्स होते हैं, जो कैंसर को रोकने में मदद करते हैं।
  2. मुटेशन के परिणाम: इन जीन्स में मुटेशन की स्थिति में, वे अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाते और इससे कैंसर के जोखिम में वृद्धि होती है।
  3. आंकलन: यदि किसी के परिवार में पहले स्तन कैंसर का इतिहास है, तो उन्हें BRCA जीन्स की जाँच करवानी चाहिए।

सावधानी और प्राथमिकता:

  1. जेनेटिक काउंसलिंग: जेनेटिक जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए काउंसलिंग महत्वपूर्ण है।
  2. रेगुलर स्क्रीनिंग: उचित मेडिकल जाँच और स्क्रीनिंग के माध्यम से बीमारी का जल्दी पता चल सकता है।

इन जीन्स और उनके मुटेशन के मौजूदगी में अगर समय रहते उपाय किए जाएं, तो स्तन कैंसर के नकरात्मक प्रभाव को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

जीवनशैली और स्तन कैंसर:

जीवनशैली के कई पहलुएं स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। निम्नलिखित मुद्दे कुछ ऐसे ही हैं:

1. शराब का अत्यधिक सेवन:

  • कैसे बढ़ाता है जोखिम: अत्यधिक शराब का सेवन लिवर को प्रभावित करता है, जिससे हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है।
  • सावधानी: मात्रा को सीमित रखें और डॉक्टर की सलाह पर शराब का सेवन करें।

2. धूम्रपान:

  • कैसे बढ़ाता है जोखिम: धूम्रपान में मौजूद कैरसिनोजेनिक पदार्थ स्तन की कोशिकाओं को नक्सान पहुंचाते हैं।
  • सावधानी: धूम्रपान तुरंत बंद करें और धूम्रपान निवारक प्रोग्राम में भाग लें।

3. अव्यवस्तित जीवनशैली:

  • कैसे बढ़ाता है जोखिम: नियमित व्यायाम की कमी, अनियमित नींद और तनाव भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • सावधानी: नियमित रूटीन बनाएं, व्यायाम करें और तनाव को कंट्रोल में रखने के उपायों को अपनाएं।

इन जीवनशैली संबंधित कारणों को समय रहते पहचानना और उन्हें सुधारना स्तन कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है। यदि आपका परिवारी इतिहास या अन्य कारण स्तन कैंसर के जोखिम में वृद्धि करते हैं, तो ये सावधानियां और भी महत्वपूर्ण हो सकती हैं।

उम्र और स्तन कैंसर का रिस्क:

उम्र एक महत्वपूर्ण कारण है जो स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

1. उम्र का प्रभाव:

  • कैसे बढ़ाता है जोखिम: 50 वर्ष की उम्र के बाद, व्यक्ति के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव आना शुरू होते हैं। इस समय, कोशिकाओं का विभाजन और मुर्जान शुरू हो सकता है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
  • स्टैटिस्टिक्स: स्तन कैंसर के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि 50 वर्ष और उसके बाद की उम्र में होती है।

2. सावधानी:

  • स्क्रीनिंग: 50 वर्ष की उम्र के बाद, नियमित मामोग्राम और अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट्स की सलाह दी जाती है।
  • हॉर्मोनल थेरेपी: कुछ महिलाओं को हॉर्मोनल थेरेपी का भी सुझाव दिया जाता है, पर यह डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।

3. जागरूकता:

  • जागरूकता कार्यक्रम: उम्र के साथ जोखिम बढ़ने की वजह से, 50 वर्ष के बाद की उम्र वाले व्यक्तियों को इसके प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।

यदि आप 50 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के हैं, तो नियमित मेडिकल जाँच-उप और स्क्रीनिंग टेस्ट्स करने की सलाह दी जाती है। ध्यान दें, यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है, और आपको किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

रेडिएशन एक्सपोज़र और स्तन कैंसर:

रेडिएशन एक्सपोज़र, विशेषकर चेस्ट क्षेत्र के एक्स-रेडिएशन, स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में से एक है।

1. रेडिएशन एक्सपोज़र के प्रकार:

  • थेरेप्यूटिक रेडिएशन: कभी-कभी ध्यानपूर्वक रेडिएशन थेरेपी के दौरान चेस्ट क्षेत्र को रेडिएशन की दोष से प्रभावित किया जाता है।
  • डायग्नोस्टिक एक्स-रेडिएशन: मामोग्राम्स, एक्स-रेस, और अन्य इमेजिंग प्रक्रियाएं भी एक छोटी मात्रा में रेडिएशन का उपयोग करती हैं।

2. सावधानियां:

  • जागरूकता: जो लोगों ने बचपन या किशोरावस्था में चेस्ट क्षेत्र के लिए रेडिएशन थेरेपी ली है, उन्हें इस बारे में जागरूक रहना चाहिए।
  • डॉक्टर से सलाह: अगर आपने ऐसा कोई उपचार लिया है, तो नियमित रूप से मेडिकल जाँच करानी चाहिए।

3. अन्य रेडिएशन स्रोत:

  • पेशेवर जोखिम: रेडिएशन थेरेपिस्ट्स, एक्स-रे टेकनिशियन्स और अन्य रेडिएशन से संपर्क में आने वाले पेशेवरों को भी जागरूक रहना चाहिए।

रेडिएशन एक्सपोज़र के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए। यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है, और आपको किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

मासिक धर्म का इतिहास और स्तन कैंसर:

मासिक धर्म का इतिहास स्तन कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकता है।

1. जल्दी मासिक धर्म का आरंभ:

  • जोखिम का कारण: पहले मासिक धर्म जल्दी शुरू होने से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स का उत्पादन ज्यादा समय तक होता है, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

2. मेनोपॉज़ देर से आना:

  • जोखिम का वृद्धि: मेनोपॉज़ देर से आने पर भी हॉर्मोनल उत्पादन लंबे समय तक बना रहता है, जो स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

3. सावधानियां और प्राथमिकताएं:

  • डॉक्टर से परामर्श: ऐसी स्थितियों में, नियमित रूप से मम्मोग्राम और अन्य जांचें करानी चाहिए।

  • हॉर्मोन थेरेपी: कुछ महिलाएं मेनोपॉज़ के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए हॉर्मोन थेरेपी लेती हैं। इसका भी संबंध स्तन कैंसर के जोखिम से हो सकता है, इसलिए इस पर डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है।

मासिक धर्म के इतिहास के इन पहलुओं को ध्यान में रखकर, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना और आवश्यकता अनुसार उपचार लेना चाहिए।

गर्भावस्था का इतिहास और स्तन कैंसर:

गर्भावस्था का इतिहास भी स्तन कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकता है।

1. पहली बार मां बनने में देरी:

  • जोखिम का कारण: 30 वर्ष की उम्र के बाद पहली बार मां बनने से एस्ट्रोजन हॉर्मोन का ज्यादा समय तक उत्पादन होता है, जो स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

2. कभी मां नहीं बनना:

  • जोखिम का वृद्धि: मां नहीं बनने की स्थिति में भी हॉर्मोनल उत्पादन के पट्टेर्न में परिवर्तन होता है, जो स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

3. सावधानियां और प्राथमिकताएं:

  • डॉक्टर से परामर्श: ऐसी स्थितियों में, नियमित रूप से मम्मोग्राम और अन्य जांचें करानी चाहिए।

  • हॉर्मोन थेरेपी: जरूरत पड़ने पर, हॉर्मोन थेरेपी का भी विचार किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

गर्भावस्था के इतिहास के इन पहलुओं को ध्यान में रखकर, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना और आवश्यकता अनुसार उपचार लेना चाहिए। 

अत्यधिक वजन और मोटापा: स्तन कैंसर के जोखिम में योगदान

वजन और मोटापा के और स्तन कैंसर के बीच एक सीधा संबंध है। अधिक वजन से शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का अधिक उत्पादन होता है। एस्ट्रोजन एक ऐसा हॉर्मोन है जिसका सीधा असर स्तन ऊतकों पर होता है। अधिक एस्ट्रोजन उत्पादन के कारण, स्तन ऊतक के कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित हो सकती हैं, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ता है।

मोटापा नहीं केवल स्तन कैंसर का कारण है, बल्कि यह अन्य कई प्रकार के कैंसर, जैसे कि पेट, लिवर, और कॉलोरेक्टल कैंसर, का भी कारण बन सकता है। इसके अलावा, मोटापा हृदय रोग, मधुमेह, और हाई ब्लड प्रेशर जैसी अन्य सीरियस स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण हो सकता है।

इसलिए, अपने वजन को नियंत्रित करना और संतुलित जीवनशैली अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से इस जोखिम को कम किया जा सकता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर वजन घटाने के उपाय करने में लाभ हो सकता है

हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): स्तन कैंसर में इसका भूमिका

मेनोपॉज़ के बाद कई महिलाएं हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) का सहारा लेती हैं, ताकि उनके हॉर्मोनल स्तर संतुलित रहें और उन्हें मेनोपॉज़ से जुड़े लक्षणों में आराम मिले। यहां तक तो ठीक है, लेकिन कई अध्ययनों ने इसे स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले फैक्टर्स में गिना है।

हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उपयोग किया जाता है, जिनमें से एस्ट्रोजन खासतौर पर स्तन कैंसर के विकास में भूमिका निभा सकता है।

हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, और जैसा कि हमने पहले भी देखा, एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है स्तन कैंसर के विकास में। इसके अलावा, HRT का लंबे समय तक उपयोग करने से यह जोखिम और भी बढ़ सकता है।

इसलिए, अगर आप मेनोपॉज़ के बाद HRT पर हैं, तो यह समय है कि आप अपने डॉक्टर से इसके लंबे टर्म इफेक्ट्स और संभावित जोखिमों के बारे में चर्चा करें। कुछ और विकल्प भी उपलब्ध हो सकते हैं जो मेनोपॉज़ से जुड़े लक्षणों को मिलांसर कर सकते हैं मिनिमल जोखिम के साथ।

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