Breast Cancer in Hindi -, जिसे हिंदी में ‘स्तन कैंसर’ कहा जाता है, भारत सहित विश्वभर में महिलाओं (और कुछ पुरुषों) के बीच एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्तन की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यह आर्टिकल उन सब लोगों के लिए है जो स्तन कैंसर के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं – इसके कारण, प्रकार, लक्षण, निदान, और उपचार से लेकर जीवनशैली में कौन से बदलाव आवश्यक हैं। हमारा उद्देश्य है स्तन कैंसर से जुड़े मिथकों को दूर करना और लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक बनाना।
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स्तन कैंसर क्या है?
स्तन कैंसर, जिसे हिंदी में ‘स्तन कैंसर’ कहा जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो स्तन के उत्तकों में शुरू होता है। यह कैंसर मुख्य रूप से महिलाओं में पाया जाता है, लेकिन पुरुषों में भी इसके मामूले मामले हो सकते हैं। भारत में, स्तन कैंसर के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं और यह एक सीरियस स्वास्थ्य समस्या बन गई है।
2.1 स्तन कैंसर के प्रकार
- इनवेजिव डुक्टल कार्सिनोमा (IDC): यह सबसे आम प्रकार का स्तन कैंसर है जो स्तन के दूध वाहक नली में शुरू होता है और फिर अन्य भागों में फैल सकता है।
- इनवेजिव लोबुलर कार्सिनोमा (ILC): यह कैंसर स्तन के दूध बनाने वाले ग्रंथियों में शुरू होता है।
- पैजेंटिक कैंसर: यह कैंसर केवल स्तन की ऊपरी परत में होता है और इसे शुरुआती स्तर माना जाता है।
2.2 कैंसर का विकास कैसे होता है?
- जेनेटिक कारण: BRCA1 और BRCA2 जैसे जेनेटिक फैक्टर कैंसर के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
- हार्मोनल इम्बैलेंस: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स भी स्तन कैंसर के विकास में योगदान कर सकते हैं।
- पर्यावरणीय कारण: जैसे कि धूम्रपान, अधिक वजन, और उचित आहार की कमी।
- उम्र: 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाएं अधिक प्रवृत्त होती हैं।
जब यह कैंसर शुरू होता है, तो इसके लक्षण सामान्यत: एक गांठ के रूप में दिखाई देते हैं, स्तन में दर्द हो सकता है, और निपल से रक्त या अन्य द्रव्य का स्राव हो सकता है।
यह कैंसर अगर शुरुआती स्तर में पकड़ा जाए, तो इसका उपचार संभाव है। लेकिन अगर यह बाद में पता चले, तो इसका उपचार कठिन हो सकता है। इसलिए, समय-समय पर मेडिकल जांच और मामोग्राम जरूरी हैं।
अगर आपको या आपके परिवार में किसी को भी इन लक्षणों का अहसास हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
Breast Cancer difference between men & Women
स्तन कैंसर मुख्यत: महिलाओं में होने वाली बीमारी मानी जाती है, लेकिन यह पुरुषों में भी हो सकता है। दोनों के बीच के अंतर कुछ इस प्रकार हैं:
महिलाओं में स्तन कैंसर:
- प्राथमिकता: महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले अधिक होते हैं।
- जेनेटिक रिस्क: BRCA1 और BRCA2 जैसे जेनेटिक फैक्टर्स महिलाओं में ज्यादा रिस्क बढ़ाते हैं।
- हार्मोनल फैक्टर्स: महिलाओं में मेनोपॉज और हार्मोन थेरेपी के कारण भी रिस्क बढ़ता है।
- उम्र: 50 वर्ष के बाद रिस्क बढ़ता है।
- स्क्रीनिंग: महिलाओं के लिए मामोग्राम और अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध हैं।
पुरुषों में स्तन कैंसर:
- दुर्लभता: पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले बहुत कम होते हैं।
- जेनेटिक रिस्क: पुरुषों में भी BRCA जेन्स रिस्क बढ़ा सकते हैं, लेकिन कमी होती है।
- हार्मोनल फैक्टर्स: टेस्टोस्टेरोन का असंतुलन से भी स्तन कैंसर हो सकता है।
- उम्र: पुरुषों में आमतौर पर 60 वर्ष के बाद रिस्क बढ़ता है।
- स्क्रीनिंग: पुरुषों के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं होते, और अक्सर लेट स्टेज में डिटेक्ट होता है।
इन अंतरों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि प्राथमिकता और जरूरत के अनुसार जांच और उपचार की जा सके।
4. कारण और जोखिम कारक
स्तन कैंसर के पीछे कई कारण और जोखिम कारक हो सकते हैं। इसे समझना महत्वपूर्ण है ताकि समय रहते सावधानी बरती जा सके।
4.1 जेनेटिक कारण
- BRCA जीन्स: यह जीन्स, BRCA1 और BRCA2, स्तन कैंसर के रिस्क को बढ़ाते हैं।
- पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में पहले से किसी को स्तन कैंसर हुआ है, तो रिस्क बढ़ता है।
- अन्य जेनेटिक मार्कर्स: PALB2 जैसे अन्य जेनेटिक मार्कर्स भी जोखिम में योगदान कर सकते हैं।
4.2 जीवनशैली संबंधित कारण
- धूम्रपान: तंबाकू का सेवन स्तन कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है।
- अत्यधिक शराब: अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से भी रिस्क बढ़ता है।
- अव्यवस्थित जीवनशैली: अनियमित नींद और स्ट्रेस भी जोखिम में योगदान कर सकते हैं।
- अधिक वजन: मोटापा और अधिक वजन भी स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
यह जानकारी स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है ताकि उपयुक्त उपचार और प्राथमिकताएं तय की जा सकें।
लक्षण: जानें स्तन कैंसर के चिन्ह
स्तन कैंसर के लक्षण शुरूवाती स्टेज में ज्यादातर नहीं दिखाई देते, लेकिन अगर आपको निम्नलिखित चिन्ह मिलते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- स्तन में गाँठ: कोई भी अनुसारण या गाँठ का अहसास होना।
- त्वचा का रंग बदलना: स्तन की त्वचा में लाली या संकुचन।
- निप्पल के बदलाव: निप्पल में जलन या दर्द, या उसका अंदर की ओर जाना।
- विसर्जन: निप्पल से बिना दबाए तरल पदार्थ निकलना।
- आकार में बदलाव: एक स्तन दूसरे स्तन से बड़ा या अलग दिखना।
- त्वचा का संकुचन: स्तन की त्वचा में ठोड़ा संकुचन या ‘ओरेंज पील’ जैसा दिखना।
- दर्द: स्तन में अचानक दर्द या सूजन महसूस होना।
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत मेडिकल एडवाइस लें। ध्यान दें कि यह लक्षण अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं, इसलिए पूरी जाँच करवाना महत्वपूर्ण है।
6. स्तन कैंसर की जांच
स्तन कैंसर की पहचान और निदान के लिए विभिन्न प्रकार की जांचें की जाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख जांचों का विवरण है:
6.1 मैमोग्राम
- क्या है: मैमोग्राम एक X-रे जांच है जिसे स्तन की तस्वीर लेने के लिए किया जाता है।
- कैसे किया जाता है: स्तन को दो प्लेट्स के बीच दबाकर X-रे लिए जाते हैं।
- कब करना चाहिए: 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित इसे कराना चाहिए।
6.2 बायोप्सी
- क्या है: इसमें स्तन से एक छोटा टिश्यू सैंपल निकालकर लैब में जांचा जाता है।
- कैसे किया जाता है: एक पतली सुई के माध्यम से टिश्यू सैंपल निकाला जाता है।
- कब करना चाहिए: अगर मैमोग्राम या अन्य जांच में शक होता है, तो बायोप्सी की जाती है।
6.3 उल्ट्रासाउंड
- क्या है: यह एक इमेजिंग जांच है जिसमें साउंड वेव्स का उपयोग होता है।
- कैसे किया जाता है: एक हैंडहेल्ड डिवाइस स्तन पर रखकर उसकी इमेज बनती है।
- कब करना चाहिए: जब मैमोग्राम के नतीजे अस्पष्ट होते हैं, तब उल्ट्रासाउंड की जा सकती है।
यह जांचें बहुत महत्वपूर्ण हैं स्तन कैंसर के शुरूवाती निदान और उपचार में। यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है, तो तुरंत इन जांचों के लिए जाएं।
7. उपचार विकल्प
स्तन कैंसर के उपचार के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विकल्प निम्नलिखित हैं:
7.1 सर्जरी
- क्या है: स्तन कैंसर के शल्यक्रिया (सर्जरी) में कैंसर वाले भाग को निकाल दिया जाता है।
- कैसे किया जाता है: जेनरल या लोकल एनेस्थेशिया के साथ ऑपरेशन किया जाता है।
- कब करना चाहिए: जब कैंसर शुरूवाती स्टेज में हो और सिर्फ एक ही स्थान पर सीमित हो।
7.2 कीमोथेरेपी
- क्या है: कीमोथेरेपी में कैंसर को रोकने वाले ड्रग्स का उपयोग किया जाता है।
- कैसे किया जाता है: ड्रग्स को इंजेक्शन या गोली के रूप में दिया जाता है।
- कब करना चाहिए: जब कैंसर उन्नत स्टेज में हो या अगर वह दूसरे भागों में फैल चुका हो।
7.3 हॉर्मोन थेरेपी
- क्या है: हॉर्मोन थेरेपी में हॉर्मोन के लेवल को नियंत्रित किया जाता है ताकि कैंसर का विकास रुक सके।
- कैसे किया जाता है: इसमें हॉर्मोन-ब्लॉकिंग दवाएं दी जाती हैं।
- कब करना चाहिए: जब कैंसर हॉर्मोन-संवेदनशील हो।
ये उपचार विकल्प डॉक्टर की सलाह और कैंसर के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करते हैं। इसलिए, ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
8. उपचार के बाद का जीवन
स्तन कैंसर का उपचार पूरा होने के बाद जीवन में कई बदलाव आते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो उपचार के बाद के जीवन में ध्यान में रखने चाहिए:
8.1 नियमित मेडिकल चेक-अप
- क्यों जरूरी है: कैंसर के पुनरावृत्ति की संभावना को नजरअंदाज़ न करें।
- कैसे करें: नियमित तौर पर मैमोग्राम, उल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराएं।
8.2 मानसिक स्वास्थ्य
- क्यों जरूरी है: कैंसर के उपचार के बाद मानसिक तनाव और डिप्रेशन की संभावना हो सकती है।
- कैसे करें: मेडिटेशन, योग और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें।
8.3 जीवनशैली में बदलाव
- क्यों जरूरी है: सही आहार और व्यायाम के बिना, जीवन में बदलाव करना महत्वपूर्ण है।
- कैसे करें: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तंबाकू और शराब से दूरी बनाएं।
स्तन कैंसर में आहार का महत्व