गर्भ न रुकना – बाँझपन क्या हैं ? What is Banjhpan-Female Infertility ?
जब किसी स्त्री के सम्भोग करने के बाद भी बच्चा नहीं रुकता है तो वह बाँझपन कहलाता है। बाँझ स्त्रियों की इज्जत समाज में नहीं होती है। विवाह के बाद जब तक कोई स्त्री माँ नही बन जाती तब तक वह पूर्ण रूप से स्त्री नहीं मानी जाती है। जिन स्त्रियों के ऐसी समस्या हो वो घबराये न उचित इलाज से बच्चा रुक जाता है और बाँझ स्त्रियां भी माँ बन जाती है। शरीर व बच्चेदानी में कमी के कारण ऐसा होता है।
गर्भ न रुकना – बाँझपन (Banjhpan) के कारण – Causes of Female Infertility
स्त्रियों को शारीरिक कमजोरीए मासिकधर्म की गड़बड़ी , बहुत ज्यादा सम्भोगए योनि मार्ग में बीमारी ,शरीर में चर्बी बढ़ने,योनि का छोटी होना,जरापु में गाँठ ,जरापु का टेढ़ा होना व पुरुष के वीर्य में कमी होना आदि कारणों से बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है। इन तमाम कारणों से ही स्त्रियां माँ नही बन पाती है। अतः बाँझ स्त्रियों को इन सब बातों का ध्यान रखना चहिये।
गर्भ न रुकना – बाँझपन (Bajhpan) के लक्षण – Symptoms of Female Infertility
इस रोग में स्त्रियों में मासिक धर्म ठीक से नही आता है। कभी जल्दी आ जाता है और कभी बहुत देर में आता है बच्चेदानी में सुई के जैसी चुभन होती है। कभी-कभी बच्चेदानी में पीड़ा होने लगती है। गर्भ वाला मार्ग खुश्क कमजोर व खुजली युक्त हो जाता है। गर्भाशय में फुंसी,जलन व सूजन आदि आ जाती है बच्चा न रुकने के ये सब प्रमुख कारण है।
गर्भ न रुकना – बाँझपन दूर करने के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार – Home Remedies For Female Infertility –
- ८ ग्राम सौंफ का चूर्ण देसी घी के साथ २.३ महीने तक सेवन करने से अवश्य ही गर्भधारण हो जाता है।
- गूलर की जड़ की छाल का काढ़ा एक की मात्रा में प्रतिदिन पीने से बाँझपैन की समस्या समाप्त हो जाती है।
- स्त्री अगर बासी मुँह बकरी के दूध का सेवन करे तो गर्भ ठहर जाता है।
- अगर गर्भाशय में किसी भी तरह की खराबी हो तो एक चम्मच मेथी के चूर्ण में हल्का सा गुड मिलाकर रोज खाने से कुछ ही दिनों में गर्भाशय के सारे रोग समाप्त हो जाते है।
- रोज स्त्री को चुकंदर का रस २.३ चम्मच की मात्रा में सुबह बासी मुँह पीना चहिये।
- मासिक -धर्म के समय असगंध का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भधारण की शक्ति आ जाती है।
- नागदमी बूटी को गाय के घी में मिलाकर योनि के भीतर लेप करने से बांझपन की समस्या दूर हो जाती है। यह प्रयोग स्त्री को ४० दिनों तक करना चहिये।
- जब स्त्री का गर्भ न ठहरे तो रोज २.३ बार सौंफ का रस पियेए इससे गर्भ ठहर जाता है।
- सुपारी व नागकेसर १५ .१५ ग्राम कूट पीसकर कपड़छन करके रख ले द्य इसमें से ७ .८ माशे यानी एक चुटकी चूर्ण स्त्री को देने से गर्भाशय के सभी विकार दूर हो जाते है और स्त्री को गर्भ ठहर जाता है।
- अगर स्त्री मोटी हो तो ६.७ ग्राम शतावर का चूर्ण १२ .१५ ग्राम घी व दूध के साथ खाने से गर्भ रूक जाता है।
- बरगद की जाता को धोकर छाया में सुखाकर पीस ले द्य इसे मासिक. धर्म के दिनों में रोज दो चम्मच की मात्रा में ठन्डे पानी से ७.८ दिन तक रोज सेवन करने से गर्भधारण करने की क्षमता आ जाती है।
- अगर गर्भ न ठहरता हो तो मोठ की चपाती खाने से गर्भ ठहर जाता है।
- सुपारी तथा नागकेसर को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेद्य ३ . ५ ग्राम की मात्रा में पानी के साथ ले ए गर्भधारण होगा।
- पुत्रजीवक जिया पोता वृक्ष की जड़ को दूध से पीसकर पीने से गर्भ ठहर जाता है।
- मासिक-धर्म के समय तुलसी के बीज चबाये अथवा काढ़ा बनाकर पीने से निश्चय ही गर्भधारण होगा।
- जायफल को कूटकर छानकर उसमे बराबर की मात्रा में मिश्री मिला ले , रजोधर्म के बाद तीन दिनों तक लगातार हथेली भर चूर्ण खाये पथ्य में केवल दूध-भात ले।
- पीपल की दाढ़ी को सुखाकर महीन कपडे से छानकर रख ले तथा सामान मात्रा में कच्ची खांड मिलाकर ऋतु स्नान के दिन से २५ ग्राम स्त्री को व २५ ग्राम पुरुष को १० दिन तक खिलाये अवश्य ही गर्भधारण होगा।
- स्त्री को गर्भ धारण कराने के लिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार ए उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है इसलिए स्त्री को इसपर अधिक ध्यान देना चहिये।
- स्त्री को गर्भधारण करने के लिए यह आवश्यक है कि योनि स्राव क्षारीय होना चहिये इसलिए स्त्री का भोजन क्षार प्रधान होना चहिये इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार व भिगोई हुई मेवा खानी चहिये।
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले विजातीय द्रव्यों को बाहर निकलना चहिये इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चहिये द्य इसके बाद उसे एक से दो दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चहिये।
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध के बजाय दही का इस्तेमाल करना चहिये।
- स्त्री को गुनगुने पानी में १ चम्मच शहद व नीम्बू मिलाकर पीना चहिये।
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को ज्यादा नमक , मिर्च,मसाला ए तले-भुने खाने वाले पदार्थ ,चीनी,चाय, कॉफी ,मैदा आदि चीजो का सेवन नही करना चहिये। इस रोग से पीड़ित स्त्री को यदि कब्ज हो तो उसका इलाज तुरंत करना चहिये।
- बांझपन को दूर करने के लिए स्त्री को विटामिन-सी व ई कि मात्रा वाली चीजे जैसे नीम्बू,संतरा ,आँवला,अंकुरित गेहूं आदि का भोजन में अधिक सेवन करना चहिये।
- स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन ५.६ लहसुन कि काली चबाकर दूध पीना चहिये,इससे स्त्रियों का बाँझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
- जामुन के पत्तो का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत लाभ होता है।
- बरगद के पेड़ कि जड़ो को छाया में सुखाकर कूटकर छानकर पाउडर बना ले फिर स्त्रियां इसे महामारी समाप्त होने के बाद ३ दिन लगातार रात को दूध के साथ ले इस क्रिया को तब तक करते रहना चहिये जब-तक कि स्त्री गर्भवती न हो जाये।
- स्त्री के बाँझपन के रोग को ठीक करने के लिए ६ ग्राम सौफ का चूर्ण घी के साथ ३ महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
- स्त्री के बांझपन को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिटटी की गीली पट्टी करनी चहिये तथा इसके बाद उसे कटि स्नान करना चहिये और कुछ दिन तक उसे कटि लपेट देना चाहिए।
- खजूर में कई पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि विटामिन ए, ई और बी, लोहा और अन्य जरूरी खनिज तत्व जो गर्भ धारण करने के लिए, आपकी क्षमता को बढाने में मदद कर सकते हैं।
- वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि प्रतिदिन तक सोते समय दो बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
- गुग्गुल एक ग्राम और रसौत को मक्खन के साथ मिलाकर प्रतिदिन तीन खुराक सेवन करने से श्वेतप्रदर के कारण जो बन्ध्यापन होता है। वह दूर हो जाता है। अर्थात श्वेतप्रदर दूर होकर बन्ध्यापन (बांझपन) नष्ट हो जाता है।
- गर्भाशय की शिथिलता (ढीलापन) के चलते यदि गर्भाधान न हो रहा तो तेजपात (तेजपत्ता का चूर्ण) 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है तथा स्त्री गर्भधारण के योग्य बन जाती है।
- यदि गर्भाशय में वायु (गैस) भर गई हो तो थोड़ी-सी कालीहींग को कालीतिलों के तेल में पीसकर तथा उसमें रूई का फोहा भिगोकर तीन दिन तक योनि में रखे। इससे बांझपन (Banjhpan)का दोष नष्ट हो जाएगा। प्रतिदिन दवा को ताजा ही पीसना चाहिए।