Arrogyavarddhini vati uses in hindi

Table of Contents

Arogyavardhini Vati :आरोग्यवर्धिनी वटी एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है जो भारतीय आयुर्वेदिक प्रणाली में प्रयुक्त होती है। यह औषधि विभिन्न औद्योगिक चिकित्सा चिकित्सकों और आयुर्वेदिक वैद्यों द्वारा समय से समय पर सलाह दी जाती है। आरोग्यवर्धिनी वटी का नाम “आरोग्य” और “वर्धिनी” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “स्वास्थ्य को बढ़ाने वाली औषधि”।जिसे सदियों से उपयोग किया जा रहा है। इसका उपयोग अश्थिक्षय, पाचन संबंधित समस्याएँ, त्वचा समस्याएँ, और यौन समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह शरीर को शोधन करके अनेक रोगों के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है और पाचन को सुधारता है। इसमें सौंदर्य बढ़ाने वाले गुण भी होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं।

आरोग्यवर्धिनी वटी के मुख्य घटक (Ingredients) :

  1. यहां आरोग्यवर्धिनी वटी के प्रमुख घटकों का विस्तार से वर्णन है:

    1. सुदीप्त कांच (सोडियम सल्फाइट): यह एक चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त करने वाला औषधि है जिसे पाचन समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य पाचन को सुधारना है, और यह पाचन समस्याओं जैसे कि अपच, गैस्ट्राइटिस, और सीरियस यौन समस्याओं के इलाज में उपयोग हो सकता है।

    2. त्रिकटु (तिनों बरोमेट्रिक साल्ट्स): त्रिकटु भी पाचन समस्याओं के इलाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह सिंड्रोमिक मिश्रण होता है जिसमें प्याज, गिलोय, और अमलकी शामिल हो सकते हैं, और इसका उपयोग पाचन को सुधारने, अपच को दूर करने, और शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए किया जा सकता है।

    3. चित्रक (प्लुम आयरलैंडिकम): चित्रक यदि सही रूप से प्रयोग किया जाए, तो यह पाचन समस्याओं को दूर करने के लिए मदद कर सकता है। इसका उपयोग बड़े आकार के पाचन समस्याओं, जैसे कि अपच, कब्ज़, और बढ़ते हुए गैस्ट्राइटिस के इलाज में किया जा सकता है।

    4. अमलकी (इंडियन गूसबेरी): अमलकी भरपूर विटामिन सी का स्रोत होती है और यह त्वचा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है। इसका उपयोग त्वचा की रखरखाव, जैसे कि केश संबंधित समस्याओं और त्वचा की चमकदारता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

    5. गुडूचि (गुडूचि गिलोय): गुडूचि का उपयोग शरीर की रक्तशुद्धि करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए किया जाता है। यह सामान्यत: काबुकी सिंड्रोम, अस्थमा, और अन्य रोगों के इलाज में उपयोग होता है।

    6. बिभीतक (बहेड़ा): बिभीतक का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है, जैसे कि पाचन समस्याएँ और त्वचा की समस्याएँ।

    7. शिलाजी (शिलाजीत): शिलाजी एक प्राकृतिक औषधि है जिसे पौराणिक और आयुर्वेदिक प्रणालियों में महत्वपूर्ण माना गया है। यह ताक़त, त्वचा स्वास्थ्य, और यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग होता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग

आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के आधार पर किया जाना चाहिए। निम्नलिखित कुछ सामान्य उपयोग हो सकते हैं:

  1. पाचन समस्याएँ: आरोग्यवर्धिनी वटी पाचन समस्याओं, जैसे कि अपच, कब्ज़, और अम्लपित्त के इलाज में मदद कर सकती है।

  2. त्वचा स्वास्थ्य: इसका उपयोग त्वचा की स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और त्वचा की समस्याओं, जैसे कि पिम्पल्स और दाग-धब्बे, के इलाज में किया जा सकता है।

  3. यौन स्वास्थ्य: कुछ लोग इसे यौन समस्याओं, जैसे कि यौन दुर्बलता और शीघ्रपतन, के इलाज में उपयोग कर सकते हैं।

  4. रक्तशुद्धि: गुडूचि के साथ मिलकर इसका उपयोग शरीर की रक्तशुद्धि के लिए किया जा सकता है।

  5. इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: गुडूचि का उपयोग इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है, जिससे आपके शरीर की रोग प्रतिरक्षा में मदद मिल सकती है।

 आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे :

  1. पाचन में सुधार: आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन पाचन सिस्टम को सुधार सकता है। इसमें मौखिक और गैस्ट्रिक सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे पाचन सुधारने में मदद मिल सकती है।

  2. त्वचा स्वास्थ्य: इसका उपयोग त्वचा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। यह त्वचा की समस्याओं, जैसे कि एक्जिमा और चर्म रोग, के इलाज में मदद कर सकता है।

  3. यौन स्वास्थ्य: कुछ लोग इसे यौन समस्याओं, जैसे कि यौन दुर्बलता और शीघ्रपतन, के इलाज में उपयोग करते हैं, जिससे यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

  4. इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: आरोग्यवर्धिनी वटी गुडूचि के साथ मिलकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है। इससे रोग प्रतिरक्षा में मदद मिल सकती है और आपको सामान्य सर्दियों और बुखारों से लड़ने में मदद कर सकती है।

  5. रक्तशुद्धि: आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन रक्तशुद्धि के लिए किया जा सकता है, जिससे रक्त में विषैले पदार्थों की मात्रा को कम किया जा सकता है।

  6. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सामान्य बढ़ावा: यह उपाय शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सामान्य बढ़ाव और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

  7. कुष्ठ रोग: Arogyavardhini Vati का सेवन कुष्ठ रोग में भी फायदा पहुंचाता है​3​.
  8. यकृत रोग: यह वटी लिवर के विभिन्न रोगों का उपचार करने में सहायक होती है और लिवर को स्टिम्युलेट करती है​4​.
  9. हृदय रोग: Patanjali Divya Arogyavardhini Vati विशेषकर हृदय रोगों के इलाज के लिए उपयोगी होती है

आरोग्यवर्धिनी वटी  के कुछ साइड इफेक्ट्स :

  1. पेट में दर्द: कुछ लोगों को इस दवा के सेवन से पेट में दर्द हो सकता है।

  2. एलर्जी: कुछ लोगों को इसमें मौजूद हर्ब्स से एलर्जी हो सकती है।

  3. असमानता: इसे अधिक मात्रा में लेने से शरीर में मिनरल और विटामिन की असमानता हो सकती है।

  4. गर्भवती महिलाएं: गर्भवती महिलाओं को इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।

  5. डायरिया और उलटी: कुछ केसेस में, इसे लेने से डायरिया और उलटी भी हो सकती है।

  6. ड्रग इंटरएक्शन: अगर आप कोई अन्य दवा भी ले रहे हैं, तो इसे उनके साथ लेने से ड्रग इंटरएक्शन का खतरा हो सकता है।

  7. किडनी और लिवर पर असर: बहुत अधिक मात्रा में इसे लेने से किडनी और लिवर पर नकरात्मक असर हो सकता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी की मात्रा और उम्र के अनुसार उपयोग के निर्देश निम्नलिखित हैं:

बच्चे (6-12 वर्ष)

  • 125-250 मिलीग्राम, दिन में दो बार

किशोर (13-18 वर्ष)

  • 250-500 मिलीग्राम, दिन में दो बार

वयस्क (18 वर्ष और उससे ऊपर)

  • 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम, दिन में दो बार

वृद्ध (60 वर्ष और उससे ऊपर)

  • 250-500 मिलीग्राम, दिन में दो बार

ध्यान दें:

  1. यह मात्रा और उम्र के अनुसार उपयोग केवल सामान्य दिशा-निर्देश हैं।
  2. इसे खाने के बाद ही लें और इसे पानी, गोमूत्र, या अन्य आयुर्वेदिक द्रव्यों के साथ मिलाकर लें।
  3. गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं, इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लें।

आरोग्यवर्धिनी वटी: दिशा-निर्देश और सावधानियां

दिशा-निर्देश:

  1. डॉक्टर की सलाह: किसी भी नई दवा, आरोग्यवर्धिनी वटी सहित, शुरू करने से पहले हेल्थकेयर प्रोवाइडर से अवश्य सलाह लें।

  2. मात्रा: निर्धारित मात्रा में ही रहें और कभी भी अनुशंसित मात्रा को पार ना करें।

  3. समय: पेटिक इश्यूज से बचने के लिए भोजन के बाद ही दवा लें।

  4. भंडारण: सीधी धूप से दूर, ठंडा और सुखा स्थान पर रखें।

  5. अवधि: डॉक्टर द्वारा सलाहित अवधि का पालन करें।

सावधानियां:

  1. गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बिना इस दवा का सेवन ना करें।

  2. एलर्जी: अगर आपको इसके किसी भी तत्व से एलर्जी का इतिहास है, तो इस दवा का सेवन ना करें।

  3. मौजूदा मेडिकल स्थिति: जिन लोगों को लिवर, किडनी, या दिल की समस्या है, उन्हें इस दवा का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए।

यह दिशा-निर्देश और सावधानियां आमतौर पर सभी के लिए उपयोगी हो सकती हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार, आपको इसे कैसे और कितनी मात्रा में लेना चाहिए, इसकी सही जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

आरोग्यवर्धिनी वटी: पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FQA)

Q1: क्या आरोग्यवर्धिनी वटी बिना प्रिस्क्रिप्शन के ली जा सकती है?

उत्तर: नहीं, आपको इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

Q2: इसे दिन में कितनी बार लेना चाहिए?

उत्तर: आमतौर पर, इसे दिन में 1 से 2 बार लिया जाता है, लेकिन यह आपके डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।

Q3: क्या इसे बच्चे भी ले सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन मात्रा और उम्र के अनुसार। डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

Q4: क्या इसके कोई साइड इफेक्ट्स हैं?

उत्तर: हां, इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे कि पेट में दर्द, एलर्जी, और डायरिया।

Q5: क्या इसे अन्य दवाओं के साथ ले सकते हैं?

उत्तर: अगर आप कोई अन्य दवा भी ले रहे हैं, तो इसे उनके साथ लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

Q6: क्या इसे खाली पेट ले सकते हैं?

उत्तर: आमतौर पर, इसे भोजन के बाद ही लेना चाहिए।

Q7: क्या इसे लंबे समय तक ले सकते हैं?

उत्तर: इसका लंबे समय तक सेवन करने का निर्णय आपके डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।

यह FQA सिर्फ एक ओवरव्यू है, और इसे डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। कृपया अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी और सलाह लें।

Tags

Share this post: