गुर्दे के पत्थरी(Gallstone Stones) कब, कैसे, प्रकार, कारण, लक्षण व घरेलु उपचार – Kidney stone & Gallstone Treatment

गुर्दे के पत्थरी( Gallstone Stones) क्या है ? What is Gallstone Stones?

पथरी (Stone) – भोजन में आक्सलेट, कैल्षियम, फास्फेट और प्यूरीन का सेवन अधिक होने से पथरी की षिकायत हो सकती है। बिना छिलके वाले अन्नों का आटा फास्फेट का मुख्य स्त्रोत है। शाक सब्जियों में कैल्षियम और आक्सलेेट पर्याप्त मात्रा में होता है। कैल्षियम और फास्फेट का मुख्य स्त्रोत दूध है। अतः इन वस्तुओं और दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को कम आक्सिलिक अम्ल और प्यूरीन युक्त आहार देना चाहिए।
 पथरी होने पर पेट में, गुर्दे, कमर में बड़ा तेज दर्द होता है। रोगी दर्द के मारे छटपटाता है। मूत्र रुक-रुक कर जलन के साथ, कभी-कभी रक्तमिश्रित आता है। इसके दर्द को वृक्क-षूल कहते है।
वृक्क अश्मरी या गुर्दे की पथरी (अंग्रेजी में Kidney Stones) कहते है). मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ ( Stones) बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (२-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।

गुर्दे के पत्थरी( Kidney Stones) कब होती है? When do kidney stones occur ?

गुर्दे के पत्थरी ( Kidney Stones) आमतौर से 30 से 60 वर्ष के उम्र के लोगो में पायी  जाती है और औरतो की तुलना में  की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पायी  जाती है. बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक सौ परिवारों में से दस परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं और लोग इस असहनीय पीड़ा से गुज़रते है। एवम् गुर्दे के पत्थरी( Kidney Stones) से पीड़ित रोगी को काफ़ी मात्रा में पानी पीना चाहिए।

जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।

Pathari Stone Treatment Hindi
Stone Treatment Hindi

गुर्दे के पत्थरी( Kidney Stones) लक्षण – Kidney Stone Symptoms Hindi

1- गुर्दे के पत्थरी( Kidney Stones) में पीठ के निचले हिस्से में या  पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि (कूल्हे) में फ़ैल जाता है तक जाता है,
2- गुर्दे के पत्थरी( Kidney Stones) का दर्द  बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो में भी सकता है. यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भी हो सकती है,
3- यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण हो गया तो है  तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं,
4- बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना
 गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। रीलन क्रोनिन रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।

गुर्दे के पत्थरी ( Kidney Stones) के प्रकार – Type of Kidney Stone

१- सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट (सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
२- पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।

३- मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।

गुर्दे के पत्थरी ( Kidney Stones) से बचाव के उपाय – Gurde Ki Pathari ( Kidney Stones) Se Bachav Ke Upay –

1- पर्याप्त जल पीयें ताकि  शरीर से २ से २.५ लीटर मूत्र रोज बने, 
2- खाने में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा काम ले,
3- जिनमें आक्जेलेट् की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि  कम ले या परहेज करे,
4- कोका कोला, पेप्सी एवं इसी तरह के अन्य पेय बिलकुल न पिए.
5- विटामिन-सी की भारी मात्रा में न ले,
6- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है कर देता है.

पित्त पथरी  (Pittashay Ki Pathri) – Gallstone

पित्त पथरी(Gallston ), पित्ताशय के अन्दर पित्त अवयवों के जमा होने से  हुआ रवाकृत जमाव होता है जो बाद चल के पथरी (Stone) का रूप ले लेता है, इस तरह की पत्थरी को पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) कहते है  । इन पथरियों का निर्माण पित्ताशय के अन्दर होता है लेकिन ये केंद्र से दूर रहते हुए पित्त मार्ग के अन्य भागों में भी पहुंच जाती है जैसे की – पुटीय नलिका, सामान्य पित्त नलिका, अग्न्याशयीय नलिका या एम्प्युला ऑफ वेटर.

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पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) के करण– Casues of Gallstone

किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी बनने के शुरआत हो जाती है. इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में बन जाते है. इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में नहीं चले नही जाते है  और दर्द होने लगता है। Gurde Ki Pathari ( Kidney Stones) में काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता और जड़ दर्द बढ़ता चला जाता है. 

1- पित्ताशय में पथरी की उपस्थिति तीव्र कोलेसिसटाइटिस का कारण बन सकती है जो कि पित्ताशय में पित्त के अवरोधन के कारण होने वाली सूजन की अवस्था है और यह प्रायः आंत संबंधी सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले द्वीतियक संक्रमण का कारण भी बनता है, मुख्यतः एस्चीरिचिया कोली और बैक्टिरॉयड्स वर्गों में. पित्त मार्ग के अन्य हिस्सों में पथरी की उपस्थिति के कारण पित्त नलिकाओं में अवरोध पैदा हो सकता है जोकि एसेन्डिंग कोलैनजाइटिस या पैन्क्रियेटाइटिस जैसी गंभीर अवस्थाओं तक पहुंच सकता है। इन दोनों में से कोई भी अवस्था प्राणों के लिए घातक हो सकती है और इसलिए इन्हें चिकित्सीय आपातस्थिति के रूप में देखा जाता है।
2- पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) का खतरा पैदा करने वाले लक्षणों में अधिक वज़न होना, 40 के आसपास या उससे अधिक उम्र का होना और समय से पूर्व रजोनिवृत्ति का होना आदि हैं
3- Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) अन्य नस्लों की अपेक्षा सफ़ेद नस्ल के लोगों में अधिक प्रबल होती है। मेलाटोनिन की कमी भी पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) का एक प्रमुख कारण होती है, क्योंकि मेलाटोनिन कोलेस्ट्रौल के स्राव को रोकता है और साथ ही कोलेस्ट्रौल के पित्त में परिवर्तित होने की क्रिया को बढ़ाता भी है और यह एक एंटीऑक्सीडेंट भी है जो पित्ताशय के जारणकारी दबाव को कम करने में समर्थ होता है।
4- शोधकर्ताओं का यह मानना है कि पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) कई कारणों के संयोजन से होती है, जिसमे वंशानुगत शारीरिक गुणधर्म, शरीर का वज़न, पित्ताशय की गतिशीलता और संभवतः भोजन भी शामिल है। हालांकि इन जोखिम संबंधी कारणों की अनुपस्थिति भी पित्ताशय की पथरी की सम्भावना को समाप्त नहीं कर सकती.

Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) क्या खाये क्या नहीं  -When do kidney stones occur?

1- पित्ताशय की पथरी और भोजन के मध्य हालांकि कोई सीधा सम्बन्ध साबित नहीं किया जा सका है; हालांकि कम रेशेयुक्त, उच्च कोलेस्ट्रौल युक्त भोजन तथा उच्च स्टार्च युक्त भोजन खाने से भी पित्ताशय में पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) के बनने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
2- पोषण संबंधी अन्य कारण जिनसे पित्ताशय की पथरी होने की सम्भावना बढ़ सकती है उनमे तीव्रता के साथ वज़न घटना, कब्ज़, पर्याप्त से कम भोजन करना, अधिक मछली नहीं खाना तथा निम्नांकित पोषक तत्वों, फोलेट, मैगनीसियम, कैल्सियम और विटामिन सी की कम मात्र ग्रहण करना शामिल है।
3- दूसरी ओर शराब (वाइन) और समूचे अन्न से बनी ब्रेड आदि के सेवन से पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone) होने की सम्भावना कम हो जाती है।
4- विकासशील विश्व में सामान्यतया वर्णक प्रकार की पित्ताशयीय पथरी ही अधिक देखने को मिलती है। वर्णक प्रकार की पथरी होने का जोखिम बढ़ाने वाले कारणों में हेमोलिटिक एनेमियास (जैसे सिकल सेल विकार और आनुवंशिक स्फेरोकाइटोसिस), सिरोसिस और पित्तीय मार्ग संक्रमण आदि आते हैं।

5- एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपौर्फिरिया (ईपीपी (EPP)) से ग्रसित व्यक्तियों में पित्ताशय की पथरी Pittashay Ki Pathri  (Gallstone)होने का खतरा अधिक होता है।

गुर्दे के पत्थरी व पित्ताशय की पथरी ठीक करने के उपचार – Home Remedies for Kidney Stone & Gallstone

  1. नारियल का पानी पीने से पथरी निकल जाती है।
  2. कई लोग यह मानते हैं कि पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित  समझ लें कि कच्चे पालक के रस से कदापि पथरी नहीं होती। रस पीओ, काया कल्प करो।
  3. करेला वृक्क या मूत्राशय की पथरी को तोड़कर पेशाब के साथ बाहर लाता है। इसके लिए दो करेले का रस नित्य पीवें, सब्जी खायें। पेषाब में रक्त आना भी बन्द हो जाता है।
  4. जिन लोगों क गुर्दे और मसाने में पथरी हो उनके लिए चावल बहुत हानिकारक है।
  5. लाजवन्ती की जड़ या पंचांग का काढ़ा पिलाने से मूत्रावरोध दूर होकर पथरी निकल जाती है। तथा मूत्र-नलिका पर आई हुई सूजन मिट जाती है।
  6. मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें, जौ को भी जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर अलग-अलग शीषियों में भर कर दोनों पर नाम लिख दें। एक कप पानी में मक्का की राख दो चम्मच घोलो फिर छानकर इस पानी को प्रातः पीएँ इससे पथरी गल जाती है। पेषाब साफ आता है। इसी प्रकार शाम को जौ की राख पीयें।
  7. जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठण्डे पानी में नित्य तीन बार फँकी लेने से लाभ होता है।
  8. जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जो से बनी चीजें, जैसे- जौ की बनी रोटी, पानी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी के पिघलने में सहायता मिलती है तथा पथरी नहीं बनती है।
  9. पन्द्रह दाने बड़ी इलायची के, एक चम्मच खरबूजे के बीज की मिंगी, दो चम्मच मिश्री इन सबको पीसकर एक कप पानी में मिलाकर सुबह-षाम दो बार नित्य पीते रहें। इससे गुर्दे की पथरी गल जाती है।
  10. पथरी में दौब को जड़ सहित उखाड़ कर उसकी पत्तियाँ तोड़कर अलग कर लें और फिर इसके डण्ठल और जड़ो को पानी से धोकर पीसकर ठण्डाई की तरह छानकर इसमें स्वाद के अनुसार मिश्री मिलाकर छान लें, फिर पीजिए। नित्य दो बार पीते रहें। इससे पथरी गल जाती है और पेषाब खुल कर आता है। एक बार में दौब के आधा किलो ठण्डल और जड़ पीसें। इसकी सब्जी गुर्दे व मूत्राषय की पथरी को तोड़कर, पेशा ब के साथ पथरी को निकाल देती है।
  11. गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली सब्जियाँ, फल अधिक खाने से पथरी निकल जाती है।
  12. पथरी के रोगियों केे लिए खरबूजा खाना उपयोगी है
  13. गुर्दे और मूत्राशय में पथरियाँ बनती है। आॅपरेशन कराके निकाल देने के पष्चात् भी प्रायः पथरी बन जाती है। सेब का रस पीते रहने से पथरी बनना बन्द हो जाता है तथा बनी हुई पथरी घिस-घिसकर मूत्र द्वारा बाहर आ जाती है। इससे रात को बार-बार पेषाब जाना कम हो जाता है। यह वृक्कों को शुद्ध करती है तथा गुर्दे का दर्द दूर होता है.
  14. आम के ताजे पत्ते छाया में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम नित्य बासी पानी के साथ प्रातः फँकी लें। रेत, कंकरी दूर हो जायेगी।
  15. आँवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राश य की पथरी में लाभ होता है।
  16. मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया- प्रत्येक पचास ग्राम को डेढ़ किलो पानी में प्रातः भिगो दें। शाम को छानकर इन्हे पीसकर इसी पानी में घोलकर छान कर पीयें। एक बार में नहीं पीया जाये तो कुछ समय बाद पुनः पीयें। इसी प्रकार शाम को भिगोकर प्रातः तैयार करके पीयें। इससे पेशाब खुलकर आयेगा। पथरी निकल जायेगी।
  17. पका हुआ जामुन खाने से पथरी के रोग में आराम होता है। जामुन की गुठली का चूर्ण दही के साथ खायें।
  18. छुहारे का सेवन पथरी में लाभदायक है।
  19. पथरी, मूत्राषय की सूजन, गुर्दों की सफाई के लिए गाजर, चुकन्दर, ककड़ी या खीरे का रस प्रत्येक 150 ग्राम मिलाकर पीने से लाभ होता है। गुर्दे और मूत्राषय की पथरी को गाजर का रस निकाल देता है। केवल गाजर का रस नित्य तीन-चार बार पीने से भी पथरी में लाभ होता है। इसमें सलाद के पत्तों का रस 250 ग्राम मिलाकर पीने से पित्ताषय की पथरी मे भी लाभ होता है।
  20. एक-एक चम्मच गाजर और शलगम के बीज मोटी मूली को खोखला करके भर लें और मुँह बन्द कर दें। इसे आग में भून लें। फिर ठण्डा करके बीज निकाल कर सुबह शाम दो बार एक माह तक पानी से फँकी लें। मात्रा आधा चम्मच पीना चाहिए।
  21. खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। इसका रस 250 ग्राम दिन में तीन बार नित्य पीना चाहिए। पेषाब में जलन, रूकावट और मधुमेह में भी खीरा लाभदायक है। खीरे के रस को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें एक चम्मच शहद और आधा नीबू मिला लेना चाहिए।
  22. बथुआ का साग पथरी से बचाता है।
  23. चैलाई का शाक नित्य खाने से पथरी गल जाती है।
  24. पथरी और मूत्र की रुकावट में इसका सेवन लाभदायक है। इसकी सब्जी घी से छौंककर बनानी चाहिए।
  25. एक या दोनों गुर्दों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दों की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती है।
  26. प्याज के रस में चीनी डालकर शर्बत बनाकर पीने से पथरी कट-कटकर बाहर आ जाती है।
  27. मूली के बीज 35 ग्राम आधा किलो पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो छानकर पीयें। कुछ दिनों तक लेने से मूत्राषय की पथरी गल जाती है, निकल जाती है। 
  28. मूली का रस 20 ग्राम नित्य पीयें तथा इसके पत्ते चबा-चबाकर खायें। पथरी चूर-चूर होकर पेषाब के साथ बाहर आयेगी। यह प्रयोग दो-तीन माह करें।
  29. गेहूँ और चने को औटाकर पानी पिलाने से गुर्दें और मूत्राषय की पथरी गल जाती है।
  30. गेहूँ के पौधों का रस भी मूत्राशय की पथरी में लाभदायक है।
  31. गुर्दें या मूत्राशय की पथरी हो तो रात को चने की दाल भिगों दें, प्रातः इस दाल में शहद मिलाकर खायें।
  32. मूत्राशय की पथरी में छाछ पीना लाभदायक है.
  33. अखरोट साबुत (गिरी और छिलके सहित) कूटकर, छानकर एक चम्मच सुबह-शा म ठण्डे पानी से कुछ दिन लेने से पथरी निकल जाती है।
  34. 6 ग्राम मेहँदी के पत्ते, 500 ग्राम पानी में उबालें, जब 150 ग्राम पानी रह जाये तो छानकर गरम-गरम यह पानी पिलायें। यह पाँच दिन करें। पथरी निकल जायेगी। गुर्दे के रोग ठीक हो जायेंगे।
  35. गन्ना चूसते रहने से पथरी के टुकडे़-टुकडे़ होकर यह निकल जाती है।
  36. 6 ग्राम अजवाइन नित्य फाँकने से गुर्दें व मूत्राषय की पथरी निकल जाती है।
  37. नीम के पत्तों की राख 6 ग्राम ठण्डे पानी से तीन बार नित्य फँकी लें। कुछ ही दिनों में गुर्दे और मूत्राषय की पथरी गलकर निकल जाती है. विधि- नीम के पत्ते छाया में सुखाकर बर्तन में जलायें। जल जाने पर बर्तन का मुँह ढँक दें। चार घण्टे बाद पत्तियों को निकाल कर पीस लें। यह नीम की राख है.
  38. इलायची पथरी में लाभदायक है। पेशाब की जलन दूर करती है।
  39. 250 ग्राम कुलथी तीन किलो पानी में रात को भिगों दें, प्रातः उबालें। जब डेढ़ किलो पानी रह जाये तो उसे छानकर नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी, शुद्ध घी से छौंक दें। इसे रोजाना पीते रहें। इससे वृक्क, मूत्राषय की पथरी बिना आॅपरेषन बाहर आ जाती है। जब तक पथरी रहे, यह लेते रहें। अधिक दिन लेने से कोई हानि नहीं है। छानने के बाद बची हुई कुल्थी में और पानी डालकर दाल की तरह सब्जी बनाकर खायें।
  40. जिन लोगों के गुर्दे और मसाने की पथरी का रोग हो, उनके लिए चावल, पालक बहुत हानिकारक है।
  41. चुकन्दर का रस या चुकन्दर को पानी में उबाल कर उसका सूप लेने से पथरी गलकर निकल जाती है। मात्रा 30 ग्राम दिन में चार बार। यह कुछ सप्ताह दें।
  42. रोज एक ग्लास अनार का जूस पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
  43. एक बड़ा चम्मच तुलसी के रस में एक छोटा चम्मच  शहद मिलकर रोजाना सुबह खाली पेट  तीन महीने तक लेने से  पथरी गलकर निकल जाती है।
  44. अंगूर का सेवन पथरी रोगियों के लिए बहुत लाभदायाक है
  45. तुलसी की पत्तियाँ चबाना पथरी रोगियों के लिए बहुत लाभदायाक है
  46. राजमा को भिगो कर उबाल ले  जब पानी ठंडा हो जाये तो उस पानी को दिन में कई बार पिए। राजमा किसी भी तरह की पथरी को ख़त्म कर देता है
  47. पथरी रोगियों को टमाटर ,बैगन ,अमरुद ,आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  48. पथरी रोगियों को पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

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