गठिया के दर्द में राहत
Gathiya-Joint Pain (Arthritis) Gharelu Ilaj
बीमारियों को अपने बुरे कर्मों का नतीजा मानने के बजाय यदि सकारात्मक सोच से धार्मिक आस्था और अध्यात्म का सहारा लिया जाए तो मरीजों को काफी राहत मिल सकती है। अमरीकी वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि जोड़ों के गठिया (रुमेटाॅइड आर्थराइटिस) के असाध्य दर्द से पीडि़त मरीजों को धर्म एवं अध्यात्म की जीवन शैली अपनाने से दर्द कम करने और स्वस्थ होने में काफी मदद मिली।
सकारात्मक धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों वाले मरीजों को अधिक प्रभावी ढंग से दर्द से मुक्ति एवं नियंत्रण पाते देखा गया। अपनी बीमारियों को पापों या ईष्वरीय प्रकोप मानने की नकारात्मक सोच दर्द बढ़ाती है। इसके विपरीत ईष्वर के निकट अथवा जीवन के प्रति जुड़ाव रखने वाले मरीजों को अधिक सामाजिक समर्थन भी मिलता है।
गठिया रोग में ध्यान रखने योग्य बातें-
Arthritis Cure Hindi-
(a) सामान्यतः संधिषोथ में व्यक्ति को कब्ज की षिकायत रहती है। रोगी को चाहिए कि वह शरीर में कब्ज न होने दे। इसके लिए एरण्ड-तेल का उपयोग लाभप्रद होता है।
(b) रोगी को तेल, मक्खन, घी आदि में तले गए पदार्थों से परहेज करना चाहिए। इसी प्रकार, भिण्डी, कटहल, भात (चावल) का निषेध करना चाहिए, गेहूँ, ज्वार, जौ का प्रयोग करना उपयुक्त होता है। अपने आहार में अत्यन्त गरम मसालों तथा मिर्च का प्रयोग उचित नहीं है। सौंठ, काली मिर्च, जीरा, लौंग तथा दालचीनी जैसे मध्यम मसालों का प्रयोग लाभदायक होता है।
(c) गठिया के रोगी को कुछ दिनों तक गुनगुना एनिमा देना चाहिए ताकि रोगी का पेट साफ़ हो, क्योंकि गठिया के रोग को रोकने के लिए कब्जियत से छुटकारा पाना ज़रूरी है।जोड़ो के दर्द-घठिया रोग के घरेलु उपचार
Jodo Ke Dard-Gathiya rog Ke Gharelu Upchar
अचार, इमली, सिरका आदि पदार्थों से रोगी को दूर रहना चाहिए। रोगी की इच्छा हो, तो वह थोड़ी मात्रा में छाछ ले सकता है, परन्तु वह खट्टी न हो।
(1) नीबू- मौसम के अनुसार गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर नित्य नीबू-पानी पीना लाभदायक है। अर्थात् नीबू, शहद, पानी मिला कर पीयें।
(2) गेहूँ- गेहूँ के घास का रस पीना इस रोग में बहुत लाभदायक है। खट्टे फलों के रस, सब्जियाँ जैसे लौकी, टमाटर का रस पीकर ही रहने से यह रोग ठीक हो जाता है।
(3) दही- आमवात के रोगी के लिए दही का सेवन हानिकारक है। ताजा मीठा दही अल्पमात्रा में केवल दोपहर के भोजन में लिया जा सकता है। माँस, मसूर की दाल भी इसमें हानिकारक है।
(4) कैल्षियम, फास्फोरस- यदि रोग का प्रभाव हड्डियों पर हो जाये तो कैल्षियम, फास्फोरस वाले पदार्थ अधिक लें। (5-) अंकुरित अन्न- अंकुरित अन्न का सेवन भी आमवात में लाभकारी है।
(6) टमाटर- गठियावाय के रोगी के लिए टमाटर लाभदायक है।
(7) पोदीना- 50 पत्ती हरा पोदीना या आधा चम्मच पिसा हुआ सूखा पोदीना एक गिलास पानी में उबालें। उबालते हुए आधा पानी रहने पर छानकर नित्य दो बार पीयें। गठिया के दर्द में यह लाभ करता है।
(8) गाजर- गाजर का रस सन्धिवात, गठिया को ठीक करता है। गाजर, ककड़ी, चुकन्दर तीनों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शीघ्र लाभ होता है। यदि तीनों सब्जियाँ उपलब्ध न हों तो जो मिलें उन्हीं का मिश्रित रस पीना चाहिए।
(9) आलू- पजामें या पतलून के दोनों जेबों में लगातार एक छोटा-सा आलू रखें तो यह आमवात से रक्षा करता है। आलू खिलाने से भी बहुत लाभ होता है। कच्चा आलू पीसकर वातरक्त में अँगूठे पर लगाने से दर्द कम होता है। दर्द वाले स्थान पर लेप भी करें।
(10) प्याज- प्याज का रस तथा सरसों का तेल समान मात्रा में मिला कर दर्द ग्रस्त अंगों पर मालिष करने से लाभ होता है।
(11) लहसुन- (1) एक गाँठ लहसुन छील कर रात को एक कप पानी में डाल दें। प्रातः पीस कर उसी पानी में घोल कर पीजिये। इसके बाद एक चम्मच मक्खन खायें। इस प्रकार एक सप्ताह लें। एक सप्ताह बाद दो गाँठ इसी प्रकार दूसरे सप्ताह में, तीसरे सप्ताह में तीन गाँठ नित्य इसी प्रकार लें। वात रोग में लाभ होगा।
(2) लहसुन के तेल की मालिष प्रतिदिन करनी चाहिए। लहसुन की एक बड़ी गाँठ को साफ करके, दो-दो टुकड़े करके दूध में उबाल लेना चाहिए। इस प्रकार तैयार की गई लहसुन की खीर 6 सप्ताह पीने से गठिया दूर हो जाती है। यह दूध रात को पीना चाहिए। दूध की खीर, लहसुन को दूध में पीसकर, उबाल कर भी ले सकते हैं। मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाते जाना चाहिए। खटाई, मिठाई का परहेज रखना चाहिए। लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से वात रोग में शीघ्र लाभ होता है। यह परीक्षित है।
(3) आधा चम्मच लहसुन का रस एक चम्मच गर्म घी में मिला कर सुबह-षाम नित्य पीने से आमवात में लाभ होता है।
(12) हींग- जोड़ों में दर्द हो, पैर में दर्द हो तो चने की दाल के बराबर हींग की फँकी पानी से एक बार नित्य एक महीना लें।
(13) नियमित रूप से ६ से ५० ग्राम अदरक के पाउडर का सेवन करने से भी गठिया के रोग में फायदा मिलता है।
(14) अरंडी का तेल मलने से भी गठिया का रोग कम हो जाता है।
(15) नमक- गठिया के रोग में रक्त में खटाई की प्रधानता हो जाती है, नमक खाने से यह खटाई बढ़ती है। अतः गठिया के रोगी को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
(16) मेथी- (1) वायु एवं वात रोगों में मेथी का शाक लाभ करता है। मेथी को घी में भूनकर पीसकर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर दस दिन सुबह-षाम खाने से वात-पीड़ा में लाभ होता है। गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खिलाने से गठिया मिटती है।
(2) चाय की चार चम्मच दाना मेथी रात को एक गिलास पानी में भिगों दें। प्रातः पानी छानकर हल्का गर्म करके पीने से लाभ होता है। भीगी मेथी को अंकुरित करके खायें।
(3) दो चम्मच दाना मेथी को दो कप पानी में उबालकर जब आधा पानी रहे तो पानी नित्य दो बार एक महीना पीएँ। इससे गठिया, कमर-दर्द और कब्ज में लाभ होता है।
(17) अदरक- वात, कमर, जाँघें, गृधसी दर्दों में अदरक के रस में घी या शहद मिलाकर पीना चाहिए। दस ग्राम सौंठ, सौ ग्राम पानी में उबालकर ठण्डा होने पर स्वादानुसार शक्कर या शहद मिलाकर पिलायें। यह अनुभूत है। सौंठ और हरड़ समान मात्रा में मिलाकर पीस कर दो बार रोजाना गर्म पानी से फँकी लें। जोड़ों के दर्द में लाभ होगा।
(18) गठिया के रोगी को ना ही ज्यादा देर तक खाली बैठना चाहिए और न ही आवश्यकता से अधिक परिश्रम करना चाहिए, क्योंकि गतिहीनता के कारण जोड़ों में अकड़न हो जाती है, और अधिक परिश्रम से अस्थिबंध को हानि पहुँच सकती है।
(19) शहद- संधिवात ग्रस्त लोगों को लम्बे समय तक शहद बहुतायत में खाना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है। जोड़ों का दर्द कम होता है।
(20) तुलसी- तुलसी के पत्तों को उबालते हुए इसकी भाप वात ग्रस्त अंगों पर दें तथा इसके गर्म पानी से धोयें। तुलसी के पत्ते, काली मिर्च, गाय का घी- तीनों मिलाकर सेवन करें। इससे वातव्याधि में लाभ होता है।
(21) रेत- रेत तवे पर सेक कर कपड़े में पोटली बाँध कर दर्द ग्रस्त अंगों का सेक करें।
(22) चुकन्दर- चुकन्दर खाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है।
(23) ककड़ी- यूरिक एसिड की अधिकता से वात रोग हो तो ककड़ी और गाजर का रस आधा-आधा गिलास मिलाकर पीने से लाभ होता है। केवल ककड़ी का रस भी पी सकते है।
(24) कुलथी- 60 ग्राम कुलथी एक किलोे पानी में उबालें। चैथाई पानी रहने पर छानकर उसमें थोड़ा सेंधा नमक और आधा चम्मच पिसी हुई सौंठ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
(25) तिल- तिल के तेल की मालिष करने से वात रोग में लाभ होता है।
(26) नमक- सूजन वाले स्थान पर नमक या बालू मिट्टी की पोटली से सेक करें।
(27) अजवाइन- (1) अजवाइन का अर्क या अजवाइन का तेल जोड़ों पर मलने से दर्द दूर हो जाता है। अजवाइन को तिल के तेल में उबाल कर तेल बना लें।
(28) एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन में स्वादानुसार नमक मिलाकर प्रातः भूखे पेट गर्म पानी से नित्य फँकी लें।
(29) दो गिलास पानी में दो चम्मच अजवाइन और दो चम्मच नमक डालकर उबालें। फिर इसे सहन होने जैसा गर्म रहने पर कपड़ा भिगों कर दर्द वाले अंग का सेक करें।
(30) चाय पेषाब में यूरिक एसिड बढ़ाती है। उससे जोड़ों का दर्द व वजन बढ़ता हैं। अतः वात के रोगियों को चाय नहीं पीनी चाहिए।