मिरगी (Epilepsy) क्या हैं ? What is Epilepsy ?
मिरगी में रोगी को अचानक बेहोशी आ जाती है। उसके हाँथ -पैर काँपते है , मुँह में झाग आ जाते है , कुछ समय में उसे होश आ जाता है,रोगी की तांत्रिक कोशिकाओं में अचानक अधिक विद्युत निकलने लगती है। उसके शरीर में कड़ापन आ जाता है और मस्तिष्क में संतुलन का अभाव हो जाता है तो उसे मिरगी रोग कहते है।
मिरगी या एपिलेप्सी का सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है. मानव मस्तिष्क के असंख्य कोष प्रतिक्षण आदेशो के रूप में अनगिनत तरंगे छोड़ते है, मस्तिष्क का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग इन आदेशो का नियंत्रण करता है एवं केवल सही आदेशो को ही कार्य रूप प्रदान करने देता है। इस सामंजस के बिगड़ने से ही मिरगी के दौरों की शुरुवात हो सकती है. कुछ अन्य कारणों में दिमागी चोटए तेज बुखार ए मैनिन्जाइटिसए दिमाग का कैंसर इत्यादि प्रमुख है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। रोगी को दौरा प्रायः मानसिक या शारीरिक तनाव की स्थित में आता है। ऐसी कोई भी अवस्था जिसमे उत्तेजना हो सकती है,अत्यधिक ऊँचाई, गहराई ,तेज पानी का बहाव देखकर भी दौरा शुरू हो सकता है प्रायः रोगी का अहसास होता है सिरदर्द ,चक्कर , घबराहट होते ही रोगी सहारा लेने का प्रयत्न करता है ,पर वह गिर पड़ता है उसके हाँथ-पैर में तेज ऐठन होते ही रागी के मुँह से झाग निकलने लगती है कई बार दांतो व जबड़ो के भिंच जाने से जीभ भी कट जाती है , चेहेरे का रंग व पुतलियों का आकार भी बदल सकता है, रोगी अपने कपड़ो में मॉल-मूत्र का त्याग भी केर सकता है। वैसे तो यह रोग किसी को भी हो सकता है ,पर मुख्यतः देखा गया है कि यह रोग स्त्रियों तथा बालिकाओ को ही अधिक होता है।
मिरगी (Epilepsy) के लक्षण – Symptoms of Mirgi-Epilepsy
लक्षणों के आधार पर इस रोग को अनेक प्रकार से बाँट सकते है इनमे से दो प्रमुख है –
- गंभीर या ग्रांड माल
- साधारण या पेटिट माल
ग्रांड माल मिरगी का दौरा कुछ मिनट से एक घंटे भर का भी हो सकता है, उसके बाद रोगी काफी थकान व कमजोरी महसूस करता है।
साधारण या पेटिट माल मिरगी का दौरा प्रायः कुछ सेकंड तक चलता हैद्य इसमें मरीज क्षणभर को मानो विस्मृत हो जाता हैद्य अचानक ही चुप हो जाता हैं ,टकटकी लगाकर देखते रहना और फिर वह अपना कार्य ऐसे करने लगता है जैसे कुछ भी न हुआ हो।
असाध्य लक्षण – Incurable Symptoms of Mirgi – Epilepsy
अंग फड़कते होए शरीर क्षीण हो गया होंए भृकुटिए भौहें चलायमान हो तो वह रोगी आयुर्वेद के अनुसार ठीक नहीं हो सकता है।
ध्यान रखने योग्य बाते – Important Points for Mirgi-Epilepsy
- मिरगी कोई भूत .प्रेत व हवा के कारण नही बल्कि एक बीमारी है और शीघ्र ठीक हो जाती है।
- काफी समय यह रोग रहने पर व्यक्ति क्रोधी ए असहनशील व चिड़चिड़ा हो जाता है उससे व्यर्थ विवाद या बहस न करे।
- मिरगी के रोगी को अधिक ऊँचाई,गहराई , आग या पानी और लड़ाई के माहौल में नही जाने देना चहिये।
- ऐसे लोगो को सार्वजनिक स्थानों पर ड्राविंग नही करने देना चहिये।
- ऐसे रोगी के पास उसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए एक कार्ड मौजूद रहे तो उपचार और सूचना में आसानी रहेगी।
प्राथमिक उपचार – First Aid for Mirgi-Epilepsy
- रोगी को जैसे ही दौर पड़ने लगे उसके जबड़ो के मध्य किसी साफ़ कपडे को फसा देना चहिये, इस तरह जीभ की रक्षा हो सकेगीद्य यदि दांत बुरी तरह से भिचे हुए है तो जबरदस्ती किसी वस्तु को दांतो के मध्य रखने की कोशिश न करे इससे दांत व मसूड़ो में चोट लगने की संभावना ही रहेगी।
- रोगी को एक करवट के सहारे लिटाये रोगी के सरे कपड़ो को ढीला कर दे ,उसकी बेल्ट ,टाई, जूते आदि उतार दे।
- श्वसन में दिक्कत हो रही हो तो कृत्रिम श्वास देना चहिये जब तक रोगी पूरा चैतन्य न हो जाये उसे खाने -पीने को कुछ न दे।
- यदि रोगी बच्चा हो तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चहिये क्योंकि ऐसा दौरा मैनिनजाइटिस में भी आ सकता है जो एक गंभीर रोग है।
- ऐसा व्यक्ति जिसे मिरगी के दौरे पड़ते हो और वह विवाह योग्य तो इस बात की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक हैं कि पति-पत्नी दोनों को मिरगी के दौरे न आते होद्य बच्चे का जन्म विशेषज्ञ की देखरेख एवं उपचार के दौरान ही होना चाहिए एवं चिकित्सक की अनुमति के बिना इलाज बंद नही करना चाहिए ।
भोजन – Diet for Mirgi -Epilepsy Patient
रोगी को प्रोटीन और विटामिन प्रधान भोजन देना चहिये। नमक जितना कम दिया जाये उतना ही अच्छा है। इससे रोगी के शीघ्र ठीक होने की संभावना बढ़ती है। शाकाहारी भोजन एवं दूध सर्वोतम है। उत्तेजक पदार्थ , कॉफ़ी , पिपिरमिंट ,मांसाहारी भोजन नहीं देना चहिये। कुछ दिन फल, सब्जी , दूध ही भोजन में देना चहिये। रोगी को भय , शोक ए चिंता नही करनी चहिये , दौरा अचानक आता है अतः रोगी को अकेला नही रहने दे।
मिर्गी रोग ठीक करने के घरेलु उपाय – Epilepsy treatment in Ayurveda
- जरा सी हींग नीम्बू के साथ चूसने से लाभ होता है।
- ३ औस प्याज का रस प्रायः थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से मिरगी आना बंद हो जाता है यह कम से कम ४० दिन दे , मिरगी के दौरे में प्याज का रस सूंघने से होश शीघ्र आ जाता है।
- मिरगी के बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सूंघाने से होश आ जाता है द्य १० कली दूध में उबालकर नित्य खिलाने से मिरगी रोग दूर हो जाता है , यह प्रयोग लंबे समय तक करे।
- लहसुन को तेल में सेककर नित्य खाये।
- ३ भाग तिल और एक भाग लहसुन पीसकर ३० ग्राम की मात्रा खाते रहने से वात-जनित मिरगी जिसका दौरा १२ दिन में आता है ठीक हो जाता है।
- बच-बच का चूर्ण १० ग्रामए एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटे या एक एक कप दूध में फंकी लेते रहने से लाभ होता है।
- करीब ५० पत्ते करौंदे के पीसकर छाछ में मिलाकर नित्य १५ दिन पीने से मिरगी आना बंद हो जाता है यह प्रयोग पित्त -जनित मिरगी में विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हुआ है। पित्त-जनित मिरगी का दौरा १५ दिन में पड़ता है।
- मिरगी रोग में २५० ग्राम दूध के साथ मेहँदी का ६० ग्राम रस मिलाकर पिलाने से रोगी को आशा से अधिक लाभ होता है।
- राई पीसकर सुंघाने से मिरगी की बेहोशी दूर होती है।
- मिरगी का दौरा पड़ने पर लालमिर्च से बनी होम्योपैथिक मदर टिंचर कैप्सिन एवं की कुछ बूंदे नाक में डालने से होश आ जाता है।
- काली मिर्च पानी में पीसकर ३ बूंदे नाक के नथुने में डालने से होश आ जाता है।
- तुलसी के हरे पत्तो को पीसकर मिरगी वाले के शरीर पर प्रतिदिन मालिश करने से लाभ होता है।
- २१ जायफल की माला पहने रहने से मिरगी रोग में लाभ होता है।
- अनार के हरे पत्ते १०० ग्राम,पानी ५०० ग्राम मिलाकर उबालेद्य चौथाई पानी रहने पर छान कर ६० ग्राम घी और ६० ग्राम चीनी मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य पिलाने से मिरगी ठीक हो जाती है।
- रोगी को २-३ चम्मच प्याज का रस पिलाकर ऊपर से एक चम्मच भुने हुए जीरे का चूर्ण दे , कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करने से मिरगी का रोग हमेशा के लिए ख़त्म हो जाता है।
- तुलसी कि ५-६ पत्तियों में ४-५ रत्ती कपूर मिलाकर चटनी बना लेद्य इस चटनी को सुघाने से मिरगी के रोगी को होश आ जाता है।
- एक गिलास दूध में ४.५ चम्मच मेहँदी का रस मिलाकर रोगी को पिलाये।
- रोगी को बेहोशी आने पर १०.१५ ग्राम राई पीसकर रोगी को बार-बार सुघाने से बेहोशी टूट जाती है।
- मिरगी आने पर जब रोगी को होश आ जाये तो एक रत्ती हींग निम्बू के रस में मिलाकर चम्मच से पिला दे एक रस ४.५ बार पिलाये इससे रोगी को काफी आराम मिलेगा।
- रोगी को होश में लेन के लिए सरीफे के पत्तो का रस रोगी की नाक में डाले।
- लहसुन की ४.५ कलियों को कुचलकर सुंघाने से रोगी को होश आ जाता है।
- रोगी के पैरो में सुबह-शाम पीपल के पत्तो का रस मलने से रोग ठीक हो जाता है।
- तुलसी के पत्तो के रस में नीम्बू व सेंधा नमक मिलाकर रोगी की नाक में डालने से रोगी को कुछ ही देर में होश आ जाता है।
- शहतूत के पत्तो का रसएसेब व आवले का मुरब्बा मिरगी के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है। यह सब पदार्थ भोजन के बाद उचित मात्रा में लेने चहिये।
- अगर मिरगी का दौरा बैठे.बैठे पड़ा हो तो रोगी को लिटाकर मुँह पर ठंडे पानी के छीटे मारे होश आने पर नीम्बू के रस में थोड़ा सा खीरे का रस मिलाकर घूँट-घूँट पिलाने से मिरगी रोग में काफी लाभ होता है।
परहेज व सुझाव –
- मिरगी के रोगी को तेज मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ न दे।
- मिरगी के रोगी को अकेले नदीएतालाबएबाजार व सूनसान स्थान पर न भेजे।
- रोगी को थोड़ा बहुत कसरत करवाये और सुबह और शाम में घर के आँगनव गली में घूमने को कहे।
- मिरगी के रोगी को शाद व पोष्टिक भोजन करवाये।
- रोगी को मांस,मछली,शराब व मैथुन से दूर रखे।
- रोगी को जहा तक हो सके खुश रखने का प्रयास करे उसे चिंता,भय,क्रोध व शोक से दूर रखे।
- मिरगी के रोगी को गाड़ी,घोडा,स्कूटर, कार व किसी यातायात के साधन पर सवारी न करने दे।
- रोगी को ज्यादा आग वाले स्थान,ज्यादा भीड़ वाले स्थान व जहाँ ज्यादा पानी हो न जाने दे।