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Dengue Fever : Top Effective 20 आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

Table of Contents

डेंगू क्या है?

डेंगू एक वायरल बीमारी है जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह वायरस एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और एडीज अल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू विश्व के कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है, और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

डेंगू बुखार के लक्षण (Dengue Fever Symptoms):

      • तेज बुखार: डेंगू बुखार का सबसे प्रमुख लक्षण अचानक शुरू होने वाला उच्च बुखार होता है, जो कई दिनों तक रह सकता है। 
      • सिर दर्द: सिर के सामने वाले हिस्से में तेज दर्द हो सकता है।
      • आँखों में दर्द: आँखों को हिलाने पर दर्द महसूस होता है।
      • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द: डेंगू से प्रभावित व्यक्तियों में जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
      • थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
      • चक्कर: कुछ लोगों को चक्कर भी आ सकता है।
      • त्वचा पर उजले लाल रंग की रैशेज: त्वचा पर छोटे लाल रंग के दाने या रैशेज आ सकते हैं।
      • हल्की ब्लीडिंग: नाक या मसूढ़ों से रक्तस्राव हो सकता है।
      • छोटी-छोटी चोटों से अधिक रक्तस्राव: अगर किसी छोटी चोट से अधिक रक्तस्राव हो, तो यह डेंगू का लक्षण हो सकता है।
      • हल्की ब्लू जैसी चकत्ते पर त्वचा: त्वचा पर नीले नीले चकत्ते भी हो सकते हैं।

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    डेंगू बुखार के कारण (Dengue Fever Causes):

    डेंगू बुखार का कारण डेंगू वायरस है, जिसे मुख्य रूप से डेंगू मैक्सीटो द्वारा फैलाया जाता है।

        • डेंगू मैक्सीटो: डेंगू बुखार का मुख्य कारण ‘ऐडीस आजिप्टी’ और ‘ऐडीस अल्बोपिक्टुस’ नामक मैक्सीटो हैं।
        • डेंगू वायरस: इस बुखार को पैदा करने वाले वायरस के चार प्रकार हैं। यदि किसी व्यक्ति को एक विशेष प्रकार का डेंगू हो चुका है, तो उसे उस प्रकार से सजीवन रूप में इम्यूनिटी हो जाती है, लेकिन अन्य प्रकारों से उसे संक्रमण हो सकता है।
        • संक्रमित मैक्सीटो का काटना: जब एक संक्रमित मैक्सीटो किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, जिससे डेंगू होता है।
        • संक्रमण का संचार: एक संक्रमित व्यक्ति को जब एक स्वस्थ मैक्सीटो काटता है, तो वायरस मैक्सीटो में प्रवेश करता है। जब यह मैक्सीटो फिर से किसी अन्य व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति में प्रवेश करता है, जिससे वह व्यक्ति डेंगू से संक्रमित होता है।
        • डेंगू बुखार से बचाव के लिए यह जरूरी है कि हम मैक्सीटो के प्रजनन के स्थलों को नष्ट करें और मैक्सीटो नेट जैसी सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल करें।

      डेंगू से बचाव के टिप्स (Dengue Prevention Tips):

          • मैक्सीटो नेट का इस्तेमाल: रात में सोते समय मैक्सीटो नेट का उपयोग करें।
          • रिपेलेंट्स: मैक्सीटो रिपेलेंट क्रीम, लोशन या स्प्रे का उपयोग करें।
          • पानी का संचार नहीं होने दें: घर या आसपास पानी जमा नहीं होने दें, क्योंकि मैक्सीटो जल स्तल पर ही अपने अंडे देते हैं।
          • पुराने टायर और अन्य जमी हुई पानी की जगहें खाली करें: पुराने टायर, गमले और अन्य जगहों पर जमा पानी को निकाल दें।
          • मच्छरदानी लगाएं: खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी लगाकर अंदर आने वाले मैक्सीटो को रोकें।
          • लिंगी वस्त्र पहनें: लंबी आस्तीन वाली शर्ट और पैंट पहनकर पूरे शरीर को ढक लें, जिससे मैक्सीटो आपको काट न सके।
          • अधिकांश समय अंदर रहें: प्रातः और संध्या के समय मैक्सीटो का प्रकोप अधिक होता है, इस समय में अधिकांश समय अंदर रहें।
          • अधिकतम स्थलों पर पंखा चालू रखें: पंखा चलाने से मैक्सीटो आसानी से आपके पास नहीं आ पाते।
          • लार्वासाइड का उपयोग: पानी जमा होने वाली जगहों पर लार्वासाइड डालें ताकि मैक्सीटो के अंडे नाश हो सकें। 

        उल्लेखनीय सूचना: अगर आपके आसपास किसी जगह पर पानी जमा हो रहा है या मैक्सीटो का प्रकोप अधिक है, तो स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को सूचित करें।

        डेंगू बुखार की जाँच (Dengue Fever Test):

        डेंगू बुखार की पहचान के लिए विभिन्न प्रकार की पारिस्थितिकी जाँचें (डायग्नोस्टिक टेस्ट्स) की जा सकती हैं। ये जाँचें आमतौर पर रक्त नमूने पर आधारित होती हैं।

            • डेंगू वायरस का उपस्थिति परीक्षण: इस परीक्षण में रक्त नमूने में डेंगू वायरस के उपस्थिति की जाँच की जाती है।
            • डेंगू NS1 एंटीजन परीक्षण: यह परीक्षण डेंगू के पहले 5 दिनों में संक्रमण की पहचान के लिए सबसे प्रभावी है।
            • डेंगू एंटीबॉडी परीक्षण (IgM & IgG): जब शरीर वायरस के खिलाफ लड़ता है, तो यह एंटीबॉडीज पैदा करता है। इस परीक्षण में इन एंटीबॉडीज की मात्रा की जाँच की जाती है।
            • प्लेटलेट्स की गिनती: डेंगू संक्रमण में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है, इसलिए इसकी गिनती का परीक्षण भी किया जाता है।
            • हीमाटोक्रिट परीक्षण: इस परीक्षण में रक्त में लाल रक्तकणिकाओं की प्रतिशत संख्या की जाँच की जाती है। डेंगू में इसकी संख्या बढ़ सकती है।

          डेंगू बुखार की जाँच (Dengue Fever Test):

          जब किसी व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर उसकी पुष्टि के लिए कुछ जाँचें करवा सकते हैं। ये जाँचें आमतौर पर रक्त नमूने पर आधारित होती हैं।

              • डेंगू वायरस का परीक्षण: इस जाँच में रक्त नमूने में डेंगू वायरस की उपस्थिति को खोजा जाता है।
              • डेंगू NS1 एंटीजन परीक्षण: डेंगू के पहले 5 दिनों में यह परीक्षण संक्रमण की पहचान के लिए सबसे प्रभावी है। यह एंटीजन वायरस के अभिवृद्धि के शुरुवाती चरण में उत्सृजित होता है।
              • डेंगू एंटीबॉडी परीक्षण (IgM & IgG): जब शरीर वायरस के संपर्क में आता है, तो वह एंटीबॉडीज पैदा करता है। इस जाँच में इन एंटीबॉडीज की मात्रा और प्रकृति की जाँच की जाती है।
              • प्लेटलेट्स की गिनती: डेंगू बुखार से प्रभावित व्यक्तियों में प्लेटलेट्स की संख्या अक्सर कम हो जाती है। प्लेटलेट्स की संख्या की जाँच से बुखार की गंभीरता का आकलन किया जा सकता है। 

            डेंगू बुखार की जाँच (Dengue Fever Test):

            जब किसी व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर उसकी पुष्टि के लिए कुछ जाँचें करवा सकते हैं। ये जाँचें आमतौर पर रक्त नमूने पर आधारित होती हैं:

                • डेंगू वायरस का परीक्षण: इस जाँच में रक्त नमूने में डेंगू वायरस की उपस्थिति को खोजा जाता है।
                • डेंगू NS1 एंटीजन परीक्षण: डेंगू के पहले 5 दिनों में यह परीक्षण संक्रमण की पहचान के लिए सबसे प्रभावी है। यह एंटीजन वायरस के अभिवृद्धि के शुरुवाती चरण में उत्सृजित होता है।
                • डेंगू एंटीबॉडी परीक्षण (IgM & IgG): जब शरीर वायरस के संपर्क में आता है, तो वह एंटीबॉडीज पैदा करता है। इस जाँच में इन एंटीबॉडीज की मात्रा और प्रकृति की जाँच की जाती है। 
                • प्लेटलेट्स की गिनती: डेंगू बुखार से प्रभावित व्यक्तियों में प्लेटलेट्स की संख्या अक्सर कम हो जाती है। प्लेटलेट्स की संख्या की जाँच से बुखार की गंभीरता का आकलन किया जा सकता है। 

              डेंगू मैक्सीटो पहचान

              डेंगू को प्रसारित करने वाला मैक्सीटो ‘ऐडीज एजिप्टी’ नामक प्रजाति का होता है। यह छोटा, काला और सफेद धारियों वाला होता है और प्रसारित करने की क्षमता रखता है।

              डेंगू बुखार में होने वाली परेशानियाँ (Dengue Fever Complications):

                  • डेंगू हैमोर्रेजिक फीवर (DHF): यह एक गंभीर अवस्था है जिसमें रक्त की रिसाव होती है और प्लेटलेट्स की संख्या घातक रूप से कम हो जाती है।
                  • डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS): इसमें रक्तदाब घातक रूप से गिर जाता है और मौत का कारण बन सकता है। 
                  • आंत्रिक संक्रमण: डेंगू बुखार से पेचीदगी में आंत्रिक संक्रमण हो सकता है। 
                  • जिगर की समस्याएँ: जैसे कि हेपेटाइटिस या जिगर की सूजन। 
                  • दिल की समस्याएँ: डेंगू संक्रमण से कार्डियोमायोपैथी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 
                  • मस्तिष्क संबंधित समस्याएँ: जैसे इन्सेफलितिस (मस्तिष्क सूजन)। 
                  • श्वसन संक्रमण: डेंगू संक्रमण से फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है। 
                  • रक्त की बहुतायत में निर्माण: यह रक्त के थक्के का कारण बन सकता है। 
                  • इलेक्ट्रोलाइट संतुलन की समस्या: डेंगू संक्रमण से शरीर में पानी और लवण संतुलन में परेशानी हो सकती है। 

                डेंगू बुखार ठीक करने के आयुर्वेदिक, देसी, यूनानी और घरेलू उपाय:

                    • पपीते की पत्तियां: डेंगू के लिए पपीते की पत्तियां एक लोकप्रिय घरेलू उपाय हैं। पपीते की पत्तियों का रस प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में सहायक होता है। 
                    • तुलसी पत्ती का चाय: तुलसी के अंती-वायरल और ज्वर निवारक गुण डेंगू के लक्षणों को कम करते हैं। 
                    • गिलोय का जूस: गिलोय डेंगू बुखार के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। 
                    • नींबू और हनी: नींबू में विटामिन C होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है, और हनी में अंती-बैक्टीरियल गुण होते हैं। 
                    • नारियल पानी: डेंगू बुखार में हाइड्रेशन की कमी हो सकती है, इसलिए नारियल पानी सेवन से शरीर को जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स मिलते हैं। 
                    • हल्दी दूध: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो डेंगू से होने वाली सूजन को कम करते हैं। 
                    • अदरक की चाय: अदरक में ज्वर और संक्रमण के खिलाफ लड़ने वाले गुण होते हैं। 
                    • चिरायता: चिरायता का डेकोक्शन डेंगू के लक्षणों को कम करता है। 
                    • तुलसी: तुलसी के पत्तों का सेवन बुखार और अन्य संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। 
                    • गिलोय: गिलोय इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है और डेंगू के लक्षणों को कम करता है। 
                    • अलोवेरा: अलोवेरा ज्यूस सेवन करने से शरीर में जलन और सूजन कम होती है। 
                    • कीटनाशक जड़ी-बूटियां: नीम और तुलसी की पत्तियां डेंगू मच्छरों को दूर रखने में मदद करती हैं। 
                    • हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। 
                    • फेनुग्रीक सीड्स (मेथी दाना): यह सामान्य तौर पर बुखार और दर्द को राहत प्रदान करने में मदद करता है। 
                    • नारियल पानी: यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। 
                    • गोलियों की शक्कर: यूनानी में यह शरीर को ठंडा रखने और बुखार में राहत प्रदान करने में मदद करता है।
                    • पुदीना: पुदीना ताजगी प्रदान करता है और पेट की परेशानियों में राहत दिलाता है।
                    • हनी: इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं और यह शरीर में उर्जा प्रदान करता है।
                    • लहसुन: लहसुन इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है।
                    • नींबू पानी: नींबू पानी सेवन से शरीर में विटामिन C की मात्रा बढ़ती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
                    • अंजीर: यूनानी चिकित्सा में अंजीर का सेवन बुखार और अन्य लक्षणों को कम करने के लिए सुझाया जाता है।
                    • अश्वगंधा: यह शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।
                    • भूनी हुई हल्दी: भूनी हुई हल्दी पानी में मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
                    • रोज़ना स्नान: ठंडे पानी से स्नान करने से बुखार में राहत मिलती है।
                    • अच्छा आराम: अच्छी नींद और आराम डेंगू बुखार से जल्दी रिकवरी में मदद करता है।

                  नोट: यह सभी उपाय सामान्यत: सेवन के लिए मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन किसी भी उपाय को आजमाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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