शीघ्रपतन क्या है ?
चिन्ता, मानसिक तनाव का पुरुष और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। इसके कारण पुरूषों में नपुंसकता, यौन सम्बन्धों के प्रति अरूचि और असामान्य शुक्राणुओं में वृद्धि हो जाती है। तनाव के कारण गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर दुष्प्रभाव पड़ता है। बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है या उसका वजन कम हो सकता है। तनाव को टालने के लिए रचनात्मक सोच रखना, नियमित दिनचर्या और नियमित व्यायाम करना आवष्यक है।जब कोई पुरूष संभोग के समय स्त्री को सन्तुष्ट किए बगैर कुछ ही क्षणों में स्खलित हो जाता है तो इसे शीघ्रपतन कहते है। यह अक्सर आत्मविष्वास की कमी व हीन भावना के कारण होता है। ऐसे पुरूषों को कामुक दृष्यों व कामुक स्त्रियों को देखकर उत्तेजित नहीं होना चाहिए।
वीर्यपुष्टि, शीघ्रपतन के कारण-
यह रोग स्त्री से अत्यधिक संभोग करने, हस्तमैथुन करने, जननांगों के रोग, पुष्टिकारक भोजन न करने, शराब व नषीली वस्तुओं के सेवन आदि से शीघ्रपतन रोग उत्पन्न होता है और यही शीघ्रपतन का मुख्य कारण है।
वीर्यपुष्टि, शीघ्रपतन के लक्षण-
शीघ्रपतन के रोगी स्त्री से संभोग करने से पहले या कुछ ही देर में स्खलित हो जाते है। कई तो स्त्री को छूने मात्र से वीर्यपात् कर बैठते हैं। शीघ्रपतन होने के बाद पुरूष स्त्री के सामने लज्जित हो जाता है क्योंकि वह स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाता है। धीरे-धीरे ऐसी दषा में पुरूष कमजोर होता चला जाता है। वह स्त्री व संभोग से दूर भागने लगता है। क्योंकि शीघ्रपतन इतना बढ़ जाता है कि वह स्त्री से प्यार, चुंबन, व लिपटने मात्र से ही स्खलित हो जाता है। ऐसी स्थिति में पुरूष व स्त्री का वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है। स्त्री को बहुत ही कष्ट झेलना पड़ता है। स्त्री, पुरूष की इस बीमारी की वजह से अन्य पुरूष से संबंध स्थापित कर लेती है और अपना वैवाहिक जीवन नरक बना लेती है।
शीघ्रपतन, धातु रोग और स्वपनदोष दूर करने करने के लिए उपयोगी नुस्खे-
- बबूल के 5-6 पत्ते व 6 ग्राम गोंद पानी में भिगोकर मसल कर उनको पानी सहित पी जाएं। ऊपर से दूध का सेवन करने से भी शीघ्रपतन रोग ठीक हो जाता है।
- तुलसी के पौधे की जड़ का चूर्ण चौथाई चम्मच घी में मिलाकर लेने से वीर्य गाढ़ा होकर शीघ्रपतन दूर होता है।
- रोज चाय के साथ लहसुन की 10-12 बूँदे सेवन करें और ऊपर से आधा किलो दूध पिएँ। लहसुन सेक्स सम्बन्धी सभी प्रकार के रोगों के लिए रामबाण औषधि है।
- रोज सुबह के समय दो छुहारे अच्छी तरह चबाकर ऊपर से 250-300 ग्राम गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।
- काँच के बीज व तालमखाना दोनों के 6-6 ग्राम चूर्ण दूध अथवा मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
- मूली के बीजों को तेल में मिलाकर औटा लें और इस तेल से शरीर की मालिष करने से शीघ्रपतन से छुटकारा मिल जाता है।
- खसखस, ईसबगोल व मिश्री इन तीनों को 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करें।
- 2-3 चम्मच प्याज के रस में शहद मिलाकर रोज सुबह के समय खाली पेट लेने से शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- आधा चम्मच कूटा हुआ कतीरा रात को एक गिलास पानी में भिगो दे। प्रातः इसमें शक्कर मिलाकर खायें। इससे शुक्रतारल्य ठीक हो जाता है।
- 60 ग्राम मुनक्का धोकर भिगों दें। बारह घंटे बाद इनको खायें। भीगी हुई मुनक्का पेट के रोगों को दूर कर रक्त और वीर्य बढ़ाती है। मुनक्का धीरे-धीरे बढ़ा कर दो सौ ग्राम तक ले सकते हैं। वर्ष में इस तरह तीन-चार किलो मुनक्का खाना बहुत लाभदायक है।
- जिनका वीर्य पतला है, जरा-सी उत्तेजना से ही निकल जाता है, वे 5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण नित्य शाम को गर्म दूध से लें। इससे वीर्य बढ़ता भी है।
- नाषपाती शुक्रवर्धक है।
- शीघ्रपतन और पतले वीर्य वालों को पाँच छुहारे प्रातः नित्य खाना चाहिए।
- सिके हुए चने या भीगे हुए चने ओर बादाम की गुली समान मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीने से वीर्य गाढ़ा होता है।
- जिनका वीर्य समभोग के आरम्भ होते ही निकल जाये वे बादाम की गुली 6, काली मिर्च 6, सौंठ 2 ग्राम, मिश्री इच्छानुसार- इन सब को मिलाकर खायें, ऊपर से गर्म दूध पीयें।
- बेर वीर्यवर्धक है।
- दालचीनी बारीक पीस लें। 4-4 ग्राम प्रातः व रात को सोते समय गर्म दूध से फँकी लें। इससे वीर्य वृद्धि होती है, दूध पच जाता है।
- ईसबगोल, शर्बत खषखष, मिश्री- प्रत्येक पाँच ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शीघ्र वीर्य-पतन बन्द हो जाता है।
- तुलसी की जड़ या बीज पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन दूर होता है। देर तक रूकावट होती है। वीर्य पुष्ट होता है।
- तुलसी के बीज 60 ग्राम, मिश्री 75 ग्राम- दोनों को पीस लें। नित्य 3 ग्राम दूध से लें। इससे धातु दौर्बल्य में लाभ होता है।
- 3 ग्राम तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण समान मात्रा में पुराने गुड़ में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से पुरूषत्व की वृद्धि होती है। पतला वीर्य गाढ़ा होता है तथा उसमें वृद्धि होती है।
- भीगी हुई चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोते समय खायें। इसे खाकर पानी न पीयें। इससे धातु पुष्ट होती है।