- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें।
- तालमखाना (Talmakhana)- अधिकतर धान के खेतों में पाया जाने वाला तालमखाना लैटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया (Asteracantha Longifolia) कहलाता है। रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, शुक्राणुओं की कमी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
- काली तुलसी का बीज 25 ग्राम, पिसी हुई मिश्री 30 ग्राम और असली अकरकरा 5 ग्राम- इन सभी को मिलाकर ठीक तरह से कूटकर किसी एक शीशी में रख दें। रात को भोजन करने के 2 घंटा पहले 10 ग्राम चूर्ण को खाकर ऊपर से एक गिलास ठंडा पानी पी लें। रात के समय भोजन करने के दो घंटे के पश्चात संभोग क्रिया करें।यह चूर्ण पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसका दो हफ्ते (सप्ताह) तक विस्तृत रुप से इस्तेमाल करें। इस चूर्ण का प्रयोग करने तक हो सके तो सेक्स क्रिया न करें।
- तालमखाना 30 ग्राम, कौंच के बीज 30 ग्राम, गोखरू 50 ग्राम, पोस्तदाना 40 ग्राम, शाल्मली की जड़ 30 ग्राम, काली मूसली 20 ग्राम, सफेद मूसली 20 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम- इन सबको एक साथ मिलाकर बारीक कूट-पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसे नियमित रुप से सुबह और शाम के समय गर्म दूध के साथ 3-3 ग्राम चूर्ण का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण शरीर को पौष्टिक, सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाला और संभोग करने की इच्छा शक्ति को भी बढ़ाता है।
- गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।
- आंवला, रुदंती, गिलोय सत्व, अश्वगंधा, हरड़, शतावर, चव्य, नागबला, वृद्धादारु, ब्राह्नी, प्रियंगु, वच, बिदारीकंद, जीवंती, पुनर्नवा, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, जीवन ऋषभक, मुग्दपर्णी, माषपर्णी, कौंच के बीज, तुलसी के बीज, सेमल, मूसली, काकनासा, पिपली बड़ी, जटामांसी, शंखपुष्पी, तालमखाना, सोनापाठा, अंनतमूल, मुलहठी, विधारा, अमलबेत, सोंठ तथा श्वेत चंदन- इन सभी पदार्थों को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से कूटकर कपड़े से छान लें। इसके अंदर वसंत कुसुमाकर रस तथा सिद्ध चंद्रोदय नं. इन दोनों को भी लेकर 25-25 ग्राम डालकर अच्छी तरह से इसमें मिला दें। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम के समय में लें। फिर ऊपर से गर्म दूध का इस्तेमाल करें। इस चूर्ण को विस्तारपूर्वक रोजाना तीन महीनों तक खाना चाहिए। फिर इसका इस्तेमाल तीन महीनों के लिए रोककर रखें। इसके बाद फिर तीन महीनों तक इस चूर्ण को लें। इस चूर्ण के प्रयोग से सेक्स क्रिया करने में पूर्ण रुप से सुख की प्राप्ति होती है। यह चूर्ण अधिक पौष्टिक होता है। इस चूर्ण का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, ह्रदय के रोगी तथा शूगर के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
- मूसली काली और सफेद दो तरह की होती है। सफेद मूसली काली मूसली से अधिक गुणकारी होती है और वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है। मूसली का 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।
- बबूल का गोंद, बबूल की बिना बीजों वाली कच्ची फलियां और बबूल की कोमल पत्तियां- इन तीनों को लेकर छाया में सुखाकर अलग-अलग करके कूट लें। फिर तीनों को बराबर-बराबर लेकर आपस में मिला लें। रोजाना के समय एक चम्मच पिसी हुई मिश्री लेकर इसे एक चम्मच चूर्ण के साथ मिलाकर खा लें। फिर इसके ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। इसका इस्तेमाल दो महीने तक विस्तारपूर्वक करने से इससे काफी अधिक फायदा मिलता है। यह वीर्य को अधिक गाढ़ा बनाता है। यह रात को होने वाले स्वप्न रोग, वीर्य का जल्दी गिरना और यौनांग के ढीलेपन एवं कमजोरी जैसे रोगों को समाप्त कर देता है।
- उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है। सबसे पहले बिना छिलके वाली उड़द की दाल को रात के समय में थोड़े से पानी में भिगोकर रख दें।सुबह के समय में इस दाल को निकालकर मिक्सी में पीस लें। इसके बाद इसको दो चम्मच शुद्ध देशी घी में गुलाबी होने तक भूनें। फिर इसके बाद 250 ग्राम गर्म दूध कर लें। जब दूध उबलने लग जाए तब उसमें भुनी हुई उड़द की दाल डालकर इसे चम्मच से तक तक चलाते रहें जब तक यह गाढ़ा न हो जाएं। गाढ़ा हो जाने पर इसको नीचे उतार लें। फिर ठंडा हो जाने पर इसके अंदर दो चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ता करते समय इस पौष्टिक खीर का इस्तेमाल करें। इसका सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट और ताकतवर बनता है। इस खीर का विस्तृत रुप से सेवन कर सकते हैं। इस खीर को सात दिन में कम से कम दो बार तो जरुर ही इस्तेमाल करना चाहिए। यह खीर सभी उम्र के लोगों के लिए बहुत ही उत्तम है।
- तालमखाने के बीज, चोबचीनी, ढाक का गोंद और मोचरस (सभी 100-100 ग्राम) तथा 250 ग्राम मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। इससे यौन रुपी कमजोरी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग दूर होते हैं।
- लगभग आधा लीटर गाय के दूध में 150 ग्राम कौंच के बीज को मिलाकर इसे हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब यह दूध अच्छी तरह से पककर गाढ़ा हो जाए तो इसे आग से उतार दें। फिर कौंच के बीजों के छिलके को निकालकर इन्हें सिल-बट्टे पर बारीक पीस लें। इसमें अच्छी तरह से मैदा मिलाकर इसको आटे की तरह गूंथ लें। फिर मैदा को जामुन की तरह से गोलियां बना लें। इस गोली को शुद्ध घी के साथ गुलाबी रंगत आने तक इसको भूनें। इसके बाद इसको शक्कर की चाशनी में मिलाकर निकाल लें। अब सभी पदार्थ को एक चौड़े मुंह वाले बर्तन में डालकर उस बर्तन में इतना मधु (शहद) डाले कि मैदा से बनी हुई सारी गोलियां उसमें डूब जाएं।इसमें से एक-एक गोली सुबह और शाम को खाली पेट लेना चाहिए और ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इन गोली का प्रयोग करने के एक घंटे के बाद भोजन को करना चाहिए। यह गोली बुजुर्ग और शादी-शुदा पुरुष दोनों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जिन पुरुषों के शिश्न (लिंग) में तनाव उत्पन्न नहीं होता या वे पुरुष जिनका वीर्य जल्दी ही निकल जाता है, उन पुरुषों के लिए यह एक बहुत ही कामगारी उपाय है।
- एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
- अधिकतर पुरुष काफी मात्रा में अधिक संभोग करते हैं जिसके कारण उनके वीर्य की मात्रा में अधिक कमी और उनके शुक्राणुओं में अधिक दुर्बलता हो जाती है। उसके लिए 2-2 ग्राम दालचीनी का बारीक चूर्ण लेकर दूध के साथ सुबह और शाम के समय में इस्तेमाल करना चाहिए।इस चूर्ण का दो महीनों तक प्रयोग करने से इसका लाभ दिखाई देने लगेगा। इसका नियमित रुप से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका प्रयोग करने से कोई साइड या बाहरी प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य की तादाद बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस चूर्ण के प्रयोग करने से शुक्राणुओं की मात्रा भी बढ़ती है और इसकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती है।
- कोमल जड़ और पीपल का फल- इन दोनों को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर इसको चटनी की तरह से बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम पानी और 100 ग्राम दूध मिलाकर इसे हल्की आंच पर रखकर तब तक उबालें जब तक की पानी की मात्रा अच्छी तरह से जल न जाएं। पानी के जलने के बाद जब दूध बाकी रह जाए तो इस दूध को छानकर आधा सुबह और आधा शाम के समय प्रयोग में लाएं। जो पुरुष लिंग में उत्तेजना न आने की वजह से चिंता में रहते हैं, उन व्यक्तियों के लिए यह उपयोग बहुत ही अधिक लाभदायक है।